मत नफ़रत की राह सुझाओ,
तुम्हें मिलाने दिल भेजा है.
मंदिर मस्ज़िद की दीवारें
क्यों इंसां के बीच खड़ी हो.
एक तत्व है सब प्राणी में,
राम रहीम में अंतर क्यों हो.
रंग एक है लाल लहू का,
सुख दुख एक बराबर सहते.
घर जलता है जब भी कोई,
आंसू सभी एक से बहते.
मैं कुरान की पढूं आयतें,
तुम गीता संदेश सुनाओ.
पहुंचेगी आवाज़ वहीं पर
ईसू अल्लाह राम बुलाओ.
मंदिर की घंटी की धुन में
स्वर अज़ान के जो मिल जायें.
भूल जायेंगे हम सब झगड़े
सच्चे दिल से गर ये सुन पायें.
सिर्फ़ प्रेम की राह सत्य है,
न अलगाव दिलों में लाओ.
दीवारों से मुक्त बनो तुम,
कण कण में दर्शन कर पाओ.
कैलाश शर्मा
तुम्हें मिलाने दिल भेजा है.
मंदिर मस्ज़िद की दीवारें
क्यों इंसां के बीच खड़ी हो.
एक तत्व है सब प्राणी में,
राम रहीम में अंतर क्यों हो.
रंग एक है लाल लहू का,
सुख दुख एक बराबर सहते.
घर जलता है जब भी कोई,
आंसू सभी एक से बहते.
मैं कुरान की पढूं आयतें,
तुम गीता संदेश सुनाओ.
पहुंचेगी आवाज़ वहीं पर
ईसू अल्लाह राम बुलाओ.
मंदिर की घंटी की धुन में
स्वर अज़ान के जो मिल जायें.
भूल जायेंगे हम सब झगड़े
सच्चे दिल से गर ये सुन पायें.
सिर्फ़ प्रेम की राह सत्य है,
न अलगाव दिलों में लाओ.
दीवारों से मुक्त बनो तुम,
कण कण में दर्शन कर पाओ.
कैलाश शर्मा
सर आपने इतना सुन्दर लिखा है की बार-२ पढने को दिल करता है. बेहतरीन सर
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति शर्मा जी, बेहतरीन पंक्तियां .............रंग एक है लाल लहू का,
ReplyDeleteसुख दुख एक बराबर सहते.
घर जलता है जब भी कोई,
आंसू सभी एक से बहते.
सुभानाल्लाह.....बहुत ही खुबसूरत ।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर !
ReplyDeleteठीक कहा है....।
ReplyDeleteसिर्फ़ प्रेम की राह सत्य है,
ReplyDeleteन अलगाव दिलों में लाओ.
दीवारों से मुक्त बनो तुम,
कण कण में दर्शन कर पाओ.
प्रेरक भाव लिए रचना का प्रत्येक शब्द मन को छूता हुआ ...
आभार इस उत्कृष्ट अभिव्यक्ति के लिए
मैं कुरान की पढूं आयतें,
ReplyDeleteतुम गीता संदेश सुनाओ.
पहुंचेगी आवाज़ वहीं पर
ईसू अल्लाह राम बुलाओ...sach ke aage murkhon kee bheed hai,samajhte hi nahi
एक तत्व है सब प्राणी में,
ReplyDeleteराम रहीम में अंतर क्यों हो.
बहुत सुंदर एवं सार्थक संदेश देती हुई रचना ...!!
बहुत सुंदर ...!!
सुंदर दर्शन और सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeletebahut bahut khoobsurat sandesh deti dhara-pravaah rachna.
ReplyDeleteutkrisht prastuti.
मिल जुल कर रहना सीखें हम..
ReplyDeleteमैं कुरान की पढूं आयतें,
ReplyDeleteतुम गीता संदेश सुनाओ.
पहुंचेगी आवाज़ वहीं पर
ईसू अल्लाह राम बुलाओ...बहुत सुन्दर विचार संदेशपरक कविता बहुत बढ़िया बधाई आपको
वाह,,,बहुत सुंदर भाव,,,,
ReplyDeleteमैं कुरान की पढूं आयतें,
तुम गीता संदेश सुनाओ.
पहुंचेगी आवाज़ वहीं पर
ईसू अल्लाह राम बुलाओ.
RECENT POST : गीत,
संदेश देती सुंदर रचना |
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट:-
♥♥*चाहो मुझे इतना*♥♥
सुंदर संदेश देती रचना ...
ReplyDelete.
ReplyDeleteसिर्फ़ प्रेम की राह सत्य है
न अलगाव दिलों में लाओ
दीवारों से मुक्त बनो तुम
कण कण में दर्शन कर पाओ
सच्चा शब्द-साधक समाज को अपनी रचनाओं के माध्यम से ऐसे ही राह दिखाता है …
आदरणीय कैलाश जी आपकी रचना बहुत महत्वपूर्ण है…
आभार !
नमन !!
शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
मैं कुरान की पढूं आयतें,
ReplyDeleteतुम गीता संदेश सुनाओ.
पहुंचेगी आवाज़ वहीं पर
ईसू अल्लाह राम बुलाओ.
बहुत सुन्दर सन्देश
बहुत ही सार्थक सन्देश देती सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
शायद हर इंसान जो दिल में प्यार का जज़्बा रखता है ..यही चाहता होगा ..लेकिन अफ़सोस की सियासत में ऐसे लोग क्यों नहीं पाए जाते.....
ReplyDeleteहम क्या बनाने आए थे क्या बना बैठे
ReplyDeleteकहीं मंदिर तो कहीं मस्जिद बना बैठे
हमसे तो अच्छी है जात परिंदों की
कभी मंदिर तो कभी मस्जिद पे जा बैठे...
अच्छा सन्देश देती हुई रचना...
ReplyDeleteभूल जायेंगे हम सब झगड़े
ReplyDeleteसच्चे दिल से गर ये सुन पायें.
सही कहा है, आपने इस आवाज़ को दिल से सुनने की जरुरत है...गहन भाव...आभार
bahut badhiya shodon ka samagam...dhnywad kabhi samay mile to mere blog http://pankajkrsah.blogspot.com pe padharen swagat hai
ReplyDelete
ReplyDeleteसिर्फ़ प्रेम की राह सत्य है,
न अलगाव दिलों में लाओ.
दीवारों से मुक्त बनो तुम,
कण कण में दर्शन कर पाओ.
इसी सत्य सभी जानते हें फिर पता नहीं क्यों लोगों के बहकावे में आकर अपने ही भाइयों को दुश्मन समझ कर खून बहाते हैं
बहुत सुंदर भावों को प्रस्तुत किया है. .
काश कि यह समझें हम ..बहुत सुन्दर .
ReplyDeletebahut sundar bhav....
ReplyDeleteसोचने को कहती हुई अति सुन्दर रचना..
ReplyDeleteकाश आपकी कविता की सोच जैसा भारत एक बार फिर से निर्माण हो ...
ReplyDeleteकाश, ऐसा हो सके - फिर तो सारी दुनिया
ReplyDeleteचैन की साँस ले सकेगी !
रंग एक है लाल लहू का,
ReplyDeleteसुख दुख एक बराबर सहते.
घर जलता है जब भी कोई,
आंसू सभी एक से बहते.
संग संग जीना ही तो जीवन है.....
काश सभी ही ऐसा सोचें तो इस दुनियां की तस्वीर ही बदल जाये | आभार |
ReplyDeleteagar boond apni boondta chhod kar or sagar apni sagarta chhod kar ek jat ko mante hai vo hai pani ki jaat.
ReplyDeleteKash insaan bhi khudrat ke sandesh ko samjhe ki
jab bande me noor khuda ka hai
phir banda rab se juda hai kyun?
or rab ki koi jaat nahin.
Yahin batati hai meri post KYUN???? please read it.
http://udaari.blogspot.in
बहुत ही खुबसूरत और अति सुन्दर रचना. काश ऐसा हो.
ReplyDeleteउत्तम कृति के लिए हार्दिक बधाई कैलाश जी |
ReplyDeleteआशा
बहुत सुन्दर कृति
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