१)
न होता दुःख
गर समझ पाता,
स्वार्थी रिश्तों को.
२)
रिश्तों की नाव
डगमगाने लगी,
मंजिल दूर.
३)
नयन उठे,
बेरुखी थी आँखों में,
बरस गये.
४)
रात्रि या दिन
क्या फ़र्क पड़ता है,
सूना जीवन.
न होता दुःख
गर समझ पाता,
स्वार्थी रिश्तों को.
२)
रिश्तों की नाव
डगमगाने लगी,
मंजिल दूर.
३)
नयन उठे,
बेरुखी थी आँखों में,
बरस गये.
४)
रात्रि या दिन
क्या फ़र्क पड़ता है,
सूना जीवन.
५)
घना अँधेरा
हर कोना है सूना,
ज़िंदगी मौन.
६)
ज़िंदगी बता
क्या खता रही मेरी,
तू रूठ गयी.
७)
कदम उठे
रोका था देहरी ने,
ठहर गये.
८)
सांस घुटती
रिश्तों की दीवारों में,
बाहर चलें.
कैलाश शर्मा
kya bat hai...har haykoo bahut kuchh kah gaya..
ReplyDeleteso much said in such a few words !!
ReplyDeleteजिन्दगी का फ़लसफ़ा बयाँ कर दिया है कैलाश शर्मा जी आपने .......ये हाइकु-हाइकु क्या है ...हम न जाने बस परेशान हैं :-))
ReplyDeleteशुभकामनायें!
अद्धभुत अभिव्यक्ति है !!
ReplyDeleteचुने हैं लम्हे
ReplyDeleteभाव भरे शब्द
और क्या कहूँ
बहुत ही सुन्दर , सजीव हाइकू .....गहन अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteबाऊ जी नमस्ते!
ReplyDeleteसार्थक चिंतन!
ढ़
--
थर्टीन रेज़ोल्युशंस
भाव भरे शब्दों में सुन्दर हाइकू,आभार।
ReplyDeleteबढ़िया हाइकू!
ReplyDeleteक्या बात है कैलाश सर। आप भी बड़े सुन्दर हाइकु लिखते हैं।
ReplyDeleteरिश्तों की अनोखी धूप छाँव झलकाते... खूबसूरत हाईकु!
ReplyDelete~सादर !!!
बढ़िया हाइकू ||
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteन होता दुःख
ReplyDeleteगर समझ पाता,
स्वार्थी रिश्तों को.
उम्दा हाइकू
मुक्तिपथ,
ReplyDeleteभ्रमित रथ।
नयन उठे,
ReplyDeleteबेरुखी थी आँखों में,
बरस गयीं.
ये तो होना ही था
बहुत ही बढ़ियाँ हाइकु
ReplyDeleteसभी बहुत ही बेहतरीन....
:-)
बहुत सुंदर ...जीवन से जुड़े से हाइकू
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाइकू
ReplyDeleteरिश्तों की दीवारों में बस घुटती साँसें,
चुभी ह्रदय में कैसी कैसी तीखी फान्सें
बहुत सुन्दर...लाज़वाब हाइकू .....गहन अभिव्यक्ति के लिए आपका आभार
ReplyDeleteनयन उठे,
ReplyDeleteबेरुखी थी आँखों में,
बरस गये...
बहुत शानदार ।
मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें
सब के सब सुन्दर ।
ReplyDeleteकदम उठे
ReplyDeleteरोका था देहरी ने,
ठहर गये.
बहुत सुन्दर हाइकू. मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें !
सांस घुटती
ReplyDeleteरिश्तों की दीवारों में,
बाहर चलें.
सभी हाइकू एक से बढ़कर एक ...
हर्फ़-दर-हर्फ़ बेहतरीन..
ReplyDeleteवाह !सुंदर पंक्तियाँ .बहुत सुन्दर हाइकू.
ReplyDeleteजिंदगी के संग और रंग के सार्थक हाइकु
ReplyDelete
ReplyDeleteजीवन की उच्छ्वास सुवास हताशा और आस लिए हैं सारे हाइकु .
जीवन की उच्छ्वास सुवास हताशा और आस लिए हैं सारे हाइकु .
ReplyDeleteram ram bhai
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मंगलवार, 15 जनवरी 2013
नौनिहालों में दमे के खतरे के वजन को बढ़ाता है कबाड़िया भोजन
http://veerubhai1947.blogspot.in/
सब के सब सुन्दर और लाजवाब हाईकू..आभार
ReplyDeleteहर एक हाईकू काफी सुन्दर .....
ReplyDeleteसादर !
behtarin-**
ReplyDelete८)
ReplyDeleteसांस घुटती
रिश्तों की दीवारों में,
बाहर चलें.
बहुत सशक्त अभिव्यक्ति यथार्थ की झरबेरियों के साथ .
गहरे भाव छिपे हैं इन हाइकू में |
ReplyDeleteआशा
आभार ज़नाब की सद्य टिपण्णी का जीवन के प्रतिबिम्बन लेकर आये हाइकु का .
ReplyDeleteउदासी से भरे हाइकू !
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