Thursday, January 10, 2013

श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (४३वीं कड़ी)



मेरी प्रकाशित पुस्तक 'श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद)' के कुछ अंश:

       ग्यारहवाँ अध्याय 
(विश्वरूपदर्शन-योग-११.१-८

अर्जुन 
करके कृपा आपने भगवन
परम गुह्य ज्ञान बतलाया.
हे माधव! अध्यात्म ज्ञान ने
मेरे मन का मोह मिटाया.  (११.१)

सर्व प्राणियों के विषयों में
जन्म मृत्यु का सुना है वर्णन.
अक्षय महात्म्य आपका भी
विस्तार पूर्वक सुना है भगवन.  (११.२)

अपने विषय में जो बतलाया,
हे परमेश्वर! सच में मानता.
फिर भी ऐश्वर्य रूप आपका 
दर्शन करना मन है चाहता.  (११.३) 

यदि आप समझते हैं प्रभु ऐसा 
कर सकता उस रूप के दर्शन.
तो योगेश्वर कृपया मुझे करायें 
उस अव्यय स्वरुप के दर्शन.  (११.४)

श्री भगवान
मेरे सत व सहस्त्र रूपों को
जो अपरिमित पार्थ तुम देखो.
नाना प्रकार दिव्य रूपों को
विविध वर्ण, आकृतियाँ देखो.  (११.५)

अश्विन, रुद्रों, मरुद्गणों को
व आदित्यों, वसुओं को देखो.
जिन्हें न तुमने देखा है पहले
उन सब आश्चर्य रूप को देखो.  (११.६)

सम्पूर्ण विश्व को भी अर्जुन
सहित चराचर मुझमें देखो.
जो भी देखना चाहो भारत! 
उन सबको तुम मुझ में देखो.  (११.७)

अपने इन नेत्रों से अर्जुन
नहीं देख सकते तुम मुझको.
मेरी दिव्य शक्ति तुम देखो 
दिव्य दृष्टि देता मैं तुम को.  (११.८)

                 ......क्रमशः

(पुस्तक को ऑनलाइन ऑर्डर करने के लिए इन लिंक्स का प्रयोग करें –
1) http://www.infibeam.com/Books/shrimadbhagavadgita-bhav-padyanuvaad-hindi-kailash-sharma/9789381394311.html 
2) http://www.ebay.in/itm/Shrimadbhagavadgita-Bhav-Padyanuvaad-Kailash-Sharma-/390520652966

कैलाश शर्मा 

17 comments:

  1. शुभकामनायें सर जी ||

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  2. आभार रविकर जी..

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  3. सम्पूर्ण विश्व को भी अर्जुन
    सहित चराचर मुझमें देखो.
    जो भी देखना चाहो भारत!
    उन सबको तुम मुझ में देखो.
    इस उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिये आभार
    सादर

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  4. प्रभावशाली ,
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

    आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
    आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।

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  5. बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति... आभार

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  6. प्रभावशाली ,
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

    आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
    आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।

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  7. उत्कृष्ट प्रस्तुति....आभार !!!

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  8. दिव्य-दृष्टि देता अनुवाद ..साधुवाद..

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  9. बहुत सुन्दर अनुबाद ,सार्थक रचना:
    New post : दो शहीद

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  10. बधाई इस प्रबंध काव्य के पुस्तक रूप आने पर .आभार आपकी सद्य टिप्पणियों का .

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  11. अति सुंदर! आभार!

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  12. विश्व रूप का सुन्दर वर्णन..

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  13. श्रीमद्भागवत का पद में इतना सुन्दर ढंग से प्रस्तुती लिए धन्यबाद,बहुत ही सुन्दर।

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  14. अपने इन नेत्रों से अर्जुन
    नहीं देख सकते तुम मुझको.
    मेरी दिव्य शक्ति तुम देखो
    दिव्य दृष्टि देता मैं तुम को...

    दिव्य शक्ति का अंश आप में भी है ... तभी इस महाकाव्य को आसान भाषा में सब तक पहुंचा रहे हैं .. अती उत्तम ...

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  15. अति सुंदर.

    लोहड़ी, मकर संक्रांति और माघ बिहू की शुभकामनायें.

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