लेने से ज़न्म पहले ही मरती हैं बेटियाँ,
सब बोझ भेद भाव का ढ़ोती हैं बेटियाँ.
फ़िरते हैं गुनहगार खुले आम सड़क पर,
उनका गुनाह उम्र भर ढ़ोती हैं बेटियाँ.
सब टोक और बंदिशें सहती हैं बेटियाँ,
वारिस कपूत बेटे भी, पराई हैं बेटियाँ.
हर वक़्त इंतजार करती हैं प्यार का,
रह कर के मौन देती हैं प्यार बेटियाँ.
घर से हों चाहे दूर, पर कब दूर बेटियाँ,
पल भी नयन मुंदें तो दिखती हैं बेटियाँ.
सूना हुआ है आँगन, आती है याद तेरी,
तस्वीर बन के केवल रह जाती बेटियाँ.
माँ बाप की खुशी, जब खुश रहती बेटियाँ,
सहते हैं दर्द कितना, जब रोती हैं बेटियाँ.
इज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
उनके घरों में शायद
न होती हैं बेटियाँ.
कैलाश शर्मा
वाह वाह...... बहुत बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति .............उम्दा पंक्तियां....... घर से हों चाहे दूर, पर कब दूर बेटियाँ,
ReplyDeleteपल भी नयन मुंदें तो दिखती हैं बेटियाँ.
सूना हुआ है आँगन, आती है याद तेरी,
तस्वीर बन के केवल रह जाती बेटियाँ.
बेटी से शुरू और बेटी पर ही ख़तम शानदार रचना सुन्दरता से परिपूर्ण हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteबेटियों पर शानदार प्रस्तुति सच में ऐसी ही होती हैं बेटियाँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता लिखी आपने
ReplyDeleteसुन्दर बहुत सुन्दर
ReplyDeleteमाँ बाप की खुशी, जब खुश रहती बेटियाँ,
ReplyDeleteसहते हैं दर्द कितना, जब रोती हैं बेटियाँ.
इज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ.
बेहद सटीक पंक्तियां
... सादर
वारिस कपूत बेटे भी, पराई हैं बेटियाँ.........
ReplyDeleteअच्छी रचना !!
बेहतरीन अभिव्यक्ति सुन्दर कविता***^^^*** घर से हों चाहे दूर, पर कब दूर बेटियाँ,
ReplyDeleteपल भी नयन मुंदें तो दिखती हैं बेटियाँ.
सूना हुआ है आँगन, आती है याद तेरी,
तस्वीर बन के केवल रह जाती बेटियाँ.
माँ बाप की खुशी, जब खुश रहती बेटियाँ,
सहते हैं दर्द कितना, जब रोती हैं बेटियाँ.
इज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ.
खुबसूरत ....अब तो समझो क्या ...... कहती हैं बेटियां
ReplyDeleteघर से हों चाहे दूर, पर कब दूर बेटियाँ,
ReplyDeleteपल भी नयन मुंदें तो दिखती हैं बेटियाँ.
सूना हुआ है आँगन, आती है याद तेरी,
तस्वीर बन के केवल रह जाती बेटियाँ.,,,
वाहवाह,,,बहुत सुंदर लाजबाब पंक्तियाँ ,,,कैलाश जी बधाई,,
recent post: मातृभूमि,
बेटे की टें टें सहो, नहीं *टेंट में माल ।
ReplyDeleteदाब सके नहिं **टेंटुवा, #टेंकाना दे टाल ।
टेंकाना दे टाल, माल सब हजम कर लिया ।
आँखों की हो जांच, किन्तु नहिं फ्रेम ले दिया ।
रविकर बेटी नीक, युगल परिवार समेटे ।
है संवेदनशील, मस्त अपने में बेटे ।।
*कमर के पास खोंसी हुई धोती
**गला
#सहारा
हर पल मन के अंदर बसती है बेटिया...
ReplyDeleteइज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
ReplyDeleteउनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ.
बेहद संवेदनशील भाव लिए रचना।।।
जगत असम्भव बिन बेटी के..
ReplyDeleteकाश! उनके घरों में कभी बेटियाँ हो ही न..या फिर होती भी होंगी तो मार देते होंगे ..
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना....
ReplyDeleteमन को छू गयी...
सादर
अनु
बहुत ही सुन्दर कविता सर |
ReplyDeleteमाँ बाप की खुशी, जब खुश रहती बेटियाँ,
ReplyDeleteसहते हैं दर्द कितना, जब रोती हैं बेटियाँ.
इज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ.
बिलकुल सही ........ कडवी पर सच्चाई !!
शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .मार्मिक प्रासंगिक .
ReplyDeleteइज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
ReplyDeleteउनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ.
सटीक अभिव्यक्ति ... संवेदनशील रचना...आभार
bahut sundar..betiyan hai to ghar aangan me chahal pahal hai..
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है. सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबेहतरीन ...मर्मस्पर्शी रचना
ReplyDeleteबहुत कहा मगर अब भी बहुत बाकी है ....
ReplyDeleteईश्वर का आशीर्वाद है बेटियाँ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...!
सब टोक और बंदिशें सहती हैं बेटियाँ,
ReplyDeleteवारिस कपूत बेटे भी, पराई हैं बेटियाँ.
हर वक़्त इंतजार करती हैं प्यार का,
रह कर के मौन देती हैं प्यार बेटियाँ.
बहुत सुंदर पंक्तियाँ..बधाई इस प्रभावशाली प्रस्तुति के लिए..
बेटी होना .......समझना - दो मुकाम हैं
ReplyDeleteसब टोक और बंदिशें सहती हैं बेटियाँ,
ReplyDeleteवारिस कपूत बेटे भी, पराई हैं बेटियाँ.
हर वक़्त इंतजार करती हैं प्यार का,
रह कर के मौन देती हैं प्यार बेटियाँ.
बहुत सुंदर रचना
बहुत सुन्दर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई.
khubsurat-***
ReplyDeleteसच बेटियों की बिना घर संसार की कल्पना बेमानी हैं ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्यारी प्रस्तुति ....आभार
बहुत कुछ सोंचने पर विवश करती सटीक सामयिक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteएक विरोधाभास एक परम्परा से उपजी पीर है एक यथार्थ की चुभन है इस रचना में बेटियों के प्रति एक शाश्वत है माँ बाप .अति उत्कृष्ट रचना .आभार आपकी सद्य टिपण्णी का .
ReplyDeleteसब टोक और बंदिशें सहती हैं बेटियाँ,
वारिस कपूत बेटे भी, पराई हैं बेटियाँ.
हर वक़्त इंतजार करती हैं प्यार का,
रह कर के मौन देती हैं प्यार बेटियाँ.
सच में बेटियाँ ऐसी ही होती हैं; बेहद संवेदनशील और प्यार भरी ! दुःख इसी बात का है कि ज़माने ने उनका मोल न जाना और सदैव उन्हें दबा कर रखा ! आपकी रचना बहुत से दुखी दिलों के लिए दिलासा होगी ! एक बहुत ही सुन्दर, सार्थक एवं सशक्त रचना ! शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबहुत श्रेष्ठ।
ReplyDeleteसच है ...
ReplyDeleteआजकल हर जगह बेटी नज़र आती है भाई जी !
मंगलकामनाएं आपको !
घर से हों चाहे दूर, पर कब दूर बेटियाँ,
ReplyDeleteपल भी नयन मुंदें तो दिखती हैं बेटियाँ.
सूना हुआ है आँगन, आती है याद तेरी,
तस्वीर बन के केवल रह जाती बेटियाँ.
माँ बाप के लिए बेटियों से बड़ा उपहार नहीं हो सकता श्रृष्टि का ... प्रेम ओर मनुहार की मूर्ती बेटियां संसार होती हैं ...
बेटियां हमारे किये अनमोल हैं।हमारे सुख -दुःख में हमेशा साथ देतीं है। बहुत सुंदर मार्मिक रचना।
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ReplyDeleteअति सुन्दर रचना। सर, यह कविता मैंने अपनी पत्नी को भी फ़ोन के माध्यम से सुनाया। मेरी 5 महीने की बेटी है, जब से जनम ली है, घर परिवार में खुशियाँ जैसे मानो दुगुनी हो गयी है, अभी घर से दूरी के बावजूद, मेरा मिजाज भी सदेव खुश रहता है, विषम परिसिस्थितियों को भी सहजता से निपट पाता हूँ। यह कविता एक सुन्दर अनुभूति है , ऐसी रचना जिसे पढ़ मन खुश हो जाता है। सर, बेटियों पर केन्द्रित इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसादर
नरेन्द्र गुप्ता
माँ बाप की खुशी, जब खुश रहती बेटियाँ,
ReplyDeleteसहते हैं दर्द कितना, जब रोती हैं बेटियाँ.
इज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ.
सटीक लेखन व प्रभावशाली ,,,,
सादर .
बहुत प्यारी होती हैं बेटियाँ
ReplyDeleteजो इस बात को नहीं जानते,नहीं समझते उनसे बड़ा मूर्ख और बदकिस्मत कोई और नहीं है
बाबुल के घर की रानी होती है बेटियाँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !!
अपना आशीष इस बेटी को भी दीजिये
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Gift- Every Second of My life.
सटीक रचना
ReplyDeleteघर से हों चाहे दूर, पर कब दूर बेटियाँ,
ReplyDeleteपल भी नयन मुंदें तो दिखती हैं बेटियाँ...
बहुत सुन्दर.
बहुत सुन्दर !!सटीक....
ReplyDeleteरचना भावपूर्ण है
ReplyDeleteप्रभावी प्रस्तुति।।।
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