हर वर्ष नया ही होता है,
नव आशा लेकर आता है.
जो भी सोचा न कर पाया,
होकर निराश वह जाता है.
दे दिया कलंक जाते जाते,
वहशी हत्यारों ने तुमको.
अब यही सोच वह जाता है,
हो भविष्य बेहतर सबको.
क्यों दोष वर्ष किसी को दें,
जब शासन ही है हुआ भ्रष्ट.
है भरी तिजोरी धनिकों की,
लेकिन जनता भूखी व त्रस्त.
भूखा बचपन है सडकों पर,
रोटी को बिके ज़वानी है.
चिथड़ों में ढांक रही यौवन,
नव वर्ष उसे बेमानी है.
नव वर्ष समय का एक चक्र,
वह आयेगा, फिर जायेगा.
जब तक न जाग्रत होंगे हम
बदलाव न कुछ हो पायेगा.
हर आम आदमी जब अपनी
ताकत सुसुप्त पहचानेगा.
बदलेंगे तभी कलेंडर हम,
जब स्वाभिमान जग जायेगा.
© कैलाश शर्मा
बहुत सही बात कही है आपने
ReplyDeleteआपको सहपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ....
:-)
बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति शुभकामना देती ”शालिनी”मंगलकारी हो जन जन को .-2013
ReplyDeleteआपको भी अंग्रेजी नववर्ष की शुभकामनाएं...
ReplyDeleteसबकुछ बदल जाता है धीरे-धीरे
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति ..
नववर्ष मंगलमय हो।।
बहुत खूब लिखा है सर आपने। कैसी विडम्बना में हम भारतवासी जी रहे हैं सर, जहाँ माँ-बहने-बेटियां सुरक्षित नहीं, सरकार -राजनितिक पार्टियाँ झूटे वायदे, दोषारोपणर और भ्रस्टाचार करने से थकती नहीं, गरीबी की बहुतायत है, .... कभी मन बहुत उद्दास हो जाता है यह सोच ..पर फिर सोचता हूँ जो बदलाव देखना चाहता हूँ वह खुद ही बनना होगा .....
ReplyDeleteनव वर्ष की आप को स-परिवार ढेर सारी शुभकामनाएँ !
नरेन्द्र गुप्ता
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं. सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
ReplyDeleteप्रभावी लेखनी,
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो,
बधाई !!
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ सर!
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने ... सार्थकता लिये सशक्त लेखन
ReplyDeleteआने वाले हर लम्हे से कहना ही होगा
हर पल को शुभ कर देना तुम इतना
जिससे मजबूत हों इमारे इरादे
.... सादर
Navversh ki Hardik Shubhkaamnayein.. Nice lines
ReplyDeleteनया साल आया बनकर उजाला,
ReplyDeleteखुल जाए आपकी किस्मत का ताला,
हमेशा आप पर मेहरबान रहे ऊपर वाला.
नया साल मुबारक.
सार्थक प्रस्तुति....
ReplyDeleteआपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ....
:-)
सही कहा..नया साल शुभ हो ..
ReplyDeleteजागृत होने का ही समाया है. नए साल की मंगलकामना.
ReplyDeleteबहुत सही बात ,सशक्त लेखन
ReplyDeleteनव वर्ष समय का एक चक्र,
ReplyDeleteवह आयेगा, फिर जायेगा.
जब तक न जाग्रत होंगे हम
बदलाव न कुछ हो पायेगा.
प्रासंगिक लेखा जोखा देश के हालात का हरारत ज़ज्बात का . शुक्रिया आपकी सद्य टिप्पणियों का .आपके शुभ भाव का ,ज़ज्बात का .अतीत को झाड़ बुहार आगे देखने का आवाहन .
बहुत सशक्त रचना। आने वाली किसी की तारीख को हम लोग कलंकित ना करें, बस यही संकल्प लें।
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteदिनांक 3/1/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
बदलेंगे तभी कलेंडर हम,
ReplyDeleteजब स्वाभिमान जग जायेगा.
वाह बहुत खूब लिख दिए हो ...
यहाँ पर आपका इंतजार रहेगाशहरे-हवस
वाह . बहुत उम्दा,मार्मिक रचना व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
ReplyDeleteनब बर्ष (2013) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार.
क्यों दोष वर्ष किसी को दें,
ReplyDeleteजब शासन ही है हुआ भ्रष्ट.
है भरी तिजोरी धनिकों की,
लेकिन जनता भूखी व त्रस्त....
सच कहा है ... किसी वर्ष या दिन का क्या दोष ... ये तो नियम हैं प्राकृति के उसके अनुसार चलेंगे ... बस मनुष्य हो छोड़ चुका है वो सारे नियम ...
आपकी प्रस्तुति निश्चय ही अत्यधिक प्रभावशाली और ह्रदय स्पर्शी लगी ....इसके लिए सादर आभार ......फुरसत के पलों में निगाहों को इधर भी करें शायद पसंद आ जाये
ReplyDeleteनववर्ष के आगमन पर अब कौन लिखेगा मंगल गीत ?
sahi kaha aapne nav varsh ki shubhkamnayen..
ReplyDeleteनयी उम्मीद के साथ नववर्ष की शुभकामनाएँ
ReplyDelete♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
क्यों दोष वर्ष किसी को दें,
जब शासन ही है हुआ भ्रष्ट.
है भरी तिजोरी धनिकों की,
लेकिन जनता भूखी व त्रस्त.
लाख बातों की एक बात है !
बहुत बड़ी संख्या में सत्ता का हिस्सा बने संसद और विधानसभाओं में जो अपराधी हमारे सीनों पर सवार हैं , उनका खात्मा होते ही हमारी ज़्यादातर समस्याओं का स्वतः ही उपचार हो जाएगा ।
और यह बात आंदोलन से पूरी न हो पा रही है तो मतदान के समय तो इनका इलाज़ कर ही दें ...
आदरणीय कैलाश जी
आपसे सहमत हूं कि -
हर आम आदमी जब अपनी
ताकत सुसुप्त पहचानेगा.
बदलेंगे तभी कलेंडर हम,
जब स्वाभिमान जग जायेगा
सुंदर , सार्थक , सामयिक रचना के लिए साधुवाद !
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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सुंदर और सार्थक... लेकिन बदलाव की बयार बहेगी ऐसी आशा जागी है...
ReplyDeleteप्रेरणादायक पंक्तियाँ..आभार!
ReplyDeleteनव वर्ष समय का एक चक्र,
ReplyDeleteवह आयेगा, फिर जायेगा.
जब तक न जाग्रत होंगे हम
बदलाव न कुछ हो पायेगा. सटीक बात कहती सार्थक अभिव्यक्ति।
शानदार था जो गया है,
ReplyDeleteआगन्तुक हर वर्ष नया है।
@ बदलेंगे तभी कलेंडर हम,
ReplyDeleteजब स्वाभिमान जग जायेगा.
सही संकल्प है भाई जी
मंगलकामनाएं ...
बदलने के आसार बने हैं रास्ता आगे तक तय होना है -बस मनोबल बना रहे !
ReplyDeletetruly spoken
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