आये बड़ी उम्मीद से, ख़ुदा
खैर करे,
तेरे दर मौत मिली, ख़ुदा खैर
करे.
दिल दहल जाता है देख कर
मंज़र,
क्या गुज़री उन पर, ख़ुदा खैर
करे.
उभर आती मुसीबत में असली सीरत,
लूटते हैं लाशों को भी,
ख़ुदा खैर करे.
मुसीबतज़दा को कभी हाथ बढ़ा
करते थे,
भूखे से भी करें व्यापार,
ख़ुदा खैर करे.
इंसानियत हो रही शर्मसार आज
इंसां से,
दो सौ रुपये में दें पानी,
ख़ुदा खैर करे.
होंगे शर्मिंदा बहुत आज तो
तुम भी भगवन,
तेरे
बंदे ही तुझे लूट चले, ख़ुदा खैर करे.
.....कैलाश शर्मा
खुदा खैर करे .... इतनी तबाही और ये मंज़र देख कर भी इंसान के मन का लालच नहीं गया
ReplyDeleteबेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
Deleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (26-06-2013) के धरा की तड़प ..... कितना सहूँ मै .....! खुदा जाने ....!१२८८ ....! चर्चा मंच अंक-1288 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
आभार...
Deleteखुदा खैर करे... :(
ReplyDeleteलालच कब जाता है
ReplyDeleteइंसानियत हो रही शर्मसार आज इंसां से,
ReplyDeleteदो सौ रुपये में दें पानी, ख़ुदा खैर करे.
sahi kah raeh hain aap .
इंसानियत हो रही शर्मसार आज इंसां से,
ReplyDeleteदो सौ रुपये में दें पानी, ख़ुदा खैर करे.
खुदा खैर करे...बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
उभर आती मुसीबत में असली सीरत,
ReplyDeleteलूटते हैं लाशों को भी, ख़ुदा खैर करे
ख़ुदा खैर करे
ऐसों पर जरूर ख़ुदा खैर करे
सामयिक सार्थक अभिव्यक्ति
ख़ुदा खैर करे ..............
दुखभरी घटना, उससे भी दुखभरा सबका व्यवहार..
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल मंगलवार (25 -06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteआभार...
Deletejb khuda khuda na rha to ab kis se kahe ki khuda khair kre .....
ReplyDeleteदिल दहल जाता है देख कर मंज़र,
ReplyDeleteक्या गुज़री उन पर, ख़ुदा खैर करे.
..सच जिस पर गुजरती है वही जानता है ..
मर्मस्पर्शी प्रस्तुति ..
खुदा खैर करे , खुदा खैर करे
ReplyDeleteतेरे बंदे ही तुझे लूट चले, ख़ुदा खैर करे.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया,सुंदर प्रस्तुति,,,
Recent post: एक हमसफर चाहिए.
या खुदा तेरी मर्जी के आगे क्या होगा !!!
ReplyDeleteहोंगे शर्मिंदा बहुत आज तो तुम भी भगवन,
ReplyDeleteतेरे बंदे ही तुझे लूट चले, ख़ुदा खैर करे.
वाह बहुत उम्दा , हार्धिक बधाई ,
ek dukhad paristhiti ka bayaan...bhavpoorn...
ReplyDeleteख़ुद ख़ुदा ही लुट गया अपने राज में
ReplyDeleteअब किस से करूँ फरयाद ..ख़ुदा खैर करे ??
वाकई हद की सीमाएं तोड़ी जा रही हैं.
ReplyDeleteउभर आती मुसीबत में असली सीरत,
ReplyDeleteलूटते हैं लाशों को भी, ख़ुदा खैर करे.
khuda khair kare
आपकी पोस्ट को कल के ब्लॉग बुलेटिन श्रद्धांजलि ....ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ...आभार।
ReplyDeleteआभार...
Deleteनाथ ने अनाथ किया ...
ReplyDeleteमौत से डरा दिया ....
महल जो थे खड़े ....
पल में गिरा दिया ....
......... बेहतरीन व सुन्दर रचना
शुभ कामनायें...
सारी पोल खोल दी इस हादसे ने !
ReplyDeleteबस अब तो खुदा ही खैर करदें तो भलाई है, बहुत ही सुंदर और सटीक रचना.
ReplyDeleteरामराम.
ufff ye lalach....kisi ko kisi ki maut ka gum nahi...
ReplyDeleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteदिल दहल जाता है देख कर मंज़र,
ReplyDeleteक्या गुज़री उन पर, ख़ुदा खैर करे....
बहुत ही दुख पूर्ण है ये हादसा ... आस्था डोलने लगती है ... पर फिर उसी का सहारा भी मिलता है ...
सटीक और सामयिक लिखा है ...
सटीक और सामयिक,मर्मस्पर्शी प्रस्तुति
ReplyDeleteवाकई में आज इंसानियत ; इन्सान के कारण ही शर्मसार हो रही है।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदररचना.
ReplyDeleteआये बड़ी उम्मीद से, ख़ुदा खैर करे,
ReplyDeleteबहुत सामयिक एवँ प्रासंगिक रचना ! वाकई मुसीबत की घड़ी में जैसी बदसूरती और बदनीयती की मिसाल कुछ लोग दे रहे हैं वे इंसान कहलाने के भी लायक नहीं हैं ! लोगों की मानसिकता को अपनी रचना के दर्पण में बहुत खूबसूरती से प्रतिबिम्बित किया है आपने !
ReplyDeleteइंसानियत हो रही शर्मसार आज इंसां से,
ReplyDeleteदो सौ रुपये में दें पानी, ख़ुदा खैर करे................सच कहा ऐसे लोगों पर तो सच मे ही खुदा खैर ही करें
बिलकुल सामयिक और सटीक कविता .वाकई इंसान बेशरम हो चुके हैं
ReplyDeletelatest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!
आखिर ऐसा क्यूँ ?
ReplyDeleteबस यही प्रश्न जहन में उठता है
आखिर मानवता कहाँ चली गई ....
मर्मस्पर्शी रचना
बहुत सशक्त तप्सरा भारत दुर्दशा का .शाश्कीय कुव्यवस्था का .
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteखुदा न खैर ही नहीं की ना. सुंदर रचना.
ReplyDeleteIts naked truth. Govt has left people to die..A new revolution is needed to wipe out dirt from Nation.
ReplyDeleteवाकई में आज इंसानियत इन्सान के कारण ही शर्मसार हो रही है कैलाश जी सुंदर रचना।
ReplyDeleteआप केदारनाथ में दो सौ रुपए में पानी की बात करते हैं यह तो मौका था जो भुना गया लुटेरों द्वारा पर सामान्य दिनचर्या में अपने इर्द-गिर्द घूम रहे लुटेरों को क्या कहेंगे आप।
ReplyDeleteवाकई खुदा खैर करे...
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना..
ऐसों पर जरूर ख़ुदा खैर करे
ReplyDeleteसामयिक सार्थक अभिव्यक्ति
ख़ुदा खैर करे ..............
लूटते हैं लाशों को भी, ख़ुदा खैर करे.....एक दर्द को बखूबी दर्शाया है
ReplyDeleteदिल दहल जाता है देख कर मंज़र,
ReplyDeleteक्या गुज़री उन पर, ख़ुदा खैर करे.
सच कहा है बड़ी ही दुखद घटना है
सामायिक रचना है !
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति मार्मिक प्रसंग उठाती बे -गैरतों को फटकारती सी ...शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का
बेहद सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहद सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteअगर यही है तेरी मर्जी तो क्या करे कोई
ReplyDeleteकैसी मजबूरी है देखो, खुदा खैर करे ।
दुखद घटना..ख़ुदा खैर करे .......
ReplyDeleteदुखद घटना...ख़ुदा खैर करे .......
ReplyDeleteApna Siddharthnagar Siddharthnagar News Siddharthnagar Directory Siddharth University Siddharthnagar Bazar Domariyaganj News Itwa News Sohratgarh News Naugarh News Get Latest News Information Articles Tranding Topics In Siddharthnagar, Uttar Pradesh, India
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