Monday, June 24, 2013

ख़ुदा खैर करे

आये बड़ी उम्मीद से, ख़ुदा खैर करे,
तेरे दर मौत मिली, ख़ुदा खैर करे.

दिल दहल जाता है देख कर मंज़र,       
क्या गुज़री उन पर, ख़ुदा खैर करे.

उभर आती मुसीबत में असली सीरत,
लूटते हैं लाशों को भी, ख़ुदा खैर करे.

मुसीबतज़दा को कभी हाथ बढ़ा करते थे,  
भूखे से भी करें व्यापार, ख़ुदा खैर करे.

इंसानियत हो रही शर्मसार आज इंसां से,
दो सौ रुपये में दें पानी, ख़ुदा खैर करे.

होंगे शर्मिंदा बहुत आज तो तुम भी भगवन,
तेरे बंदे ही तुझे लूट चले, ख़ुदा खैर करे.

.....कैलाश शर्मा  

57 comments:

  1. खुदा खैर करे .... इतनी तबाही और ये मंज़र देख कर भी इंसान के मन का लालच नहीं गया

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    1. बेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
      आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (26-06-2013) के धरा की तड़प ..... कितना सहूँ मै .....! खुदा जाने ....!१२८८ ....! चर्चा मंच अंक-1288 पर भी होगी!
      सादर...!
      शशि पुरवार

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  2. खुदा खैर करे... :(

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  3. लालच कब जाता है

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  4. इंसानियत हो रही शर्मसार आज इंसां से,
    दो सौ रुपये में दें पानी, ख़ुदा खैर करे.
    sahi kah raeh hain aap .

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  5. इंसानियत हो रही शर्मसार आज इंसां से,
    दो सौ रुपये में दें पानी, ख़ुदा खैर करे.
    खुदा खैर करे...बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.

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  6. उभर आती मुसीबत में असली सीरत,
    लूटते हैं लाशों को भी, ख़ुदा खैर करे
    ख़ुदा खैर करे
    ऐसों पर जरूर ख़ुदा खैर करे
    सामयिक सार्थक अभिव्यक्ति
    ख़ुदा खैर करे ..............

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  7. दुखभरी घटना, उससे भी दुखभरा सबका व्यवहार..

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  8. आपकी यह रचना कल मंगलवार (25 -06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  9. jb khuda khuda na rha to ab kis se kahe ki khuda khair kre .....

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  10. दिल दहल जाता है देख कर मंज़र,
    क्या गुज़री उन पर, ख़ुदा खैर करे.
    ..सच जिस पर गुजरती है वही जानता है ..
    मर्मस्पर्शी प्रस्तुति ..

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  11. खुदा खैर करे , खुदा खैर करे

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  12. तेरे बंदे ही तुझे लूट चले, ख़ुदा खैर करे.

    बहुत बढ़िया,सुंदर प्रस्तुति,,,

    Recent post: एक हमसफर चाहिए.

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  13. या खुदा तेरी मर्जी के आगे क्या होगा !!!

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  14. होंगे शर्मिंदा बहुत आज तो तुम भी भगवन,
    तेरे बंदे ही तुझे लूट चले, ख़ुदा खैर करे.

    वाह बहुत उम्दा , हार्धिक बधाई ,

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  15. ख़ुद ख़ुदा ही लुट गया अपने राज में
    अब किस से करूँ फरयाद ..ख़ुदा खैर करे ??

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  16. वाकई हद की सीमाएं तोड़ी जा रही हैं.

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  17. उभर आती मुसीबत में असली सीरत,
    लूटते हैं लाशों को भी, ख़ुदा खैर करे.

    khuda khair kare

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  18. आपकी पोस्ट को कल के ब्लॉग बुलेटिन श्रद्धांजलि ....ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ...आभार।

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  19. नाथ ने अनाथ किया ...
    मौत से डरा दिया ....
    महल जो थे खड़े ....
    पल में गिरा दिया ....
    ......... बेहतरीन व सुन्दर रचना
    शुभ कामनायें...

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  20. सारी पोल खोल दी इस हादसे ने !

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  21. बस अब तो खुदा ही खैर करदें तो भलाई है, बहुत ही सुंदर और सटीक रचना.

    रामराम.

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  22. ufff ye lalach....kisi ko kisi ki maut ka gum nahi...

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  23. बहुत उम्दा

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  24. दिल दहल जाता है देख कर मंज़र,
    क्या गुज़री उन पर, ख़ुदा खैर करे....

    बहुत ही दुख पूर्ण है ये हादसा ... आस्था डोलने लगती है ... पर फिर उसी का सहारा भी मिलता है ...
    सटीक और सामयिक लिखा है ...

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  25. सटीक और सामयिक,मर्मस्पर्शी प्रस्तुति

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  26. वाकई में आज इंसानियत ; इन्सान के कारण ही शर्मसार हो रही है।

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  27. बहुत ही सुंदररचना.

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  28. आये बड़ी उम्मीद से, ख़ुदा खैर करे,

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  29. बहुत सामयिक एवँ प्रासंगिक रचना ! वाकई मुसीबत की घड़ी में जैसी बदसूरती और बदनीयती की मिसाल कुछ लोग दे रहे हैं वे इंसान कहलाने के भी लायक नहीं हैं ! लोगों की मानसिकता को अपनी रचना के दर्पण में बहुत खूबसूरती से प्रतिबिम्बित किया है आपने !

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  30. इंसानियत हो रही शर्मसार आज इंसां से,
    दो सौ रुपये में दें पानी, ख़ुदा खैर करे................सच कहा ऐसे लोगों पर तो सच मे ही खुदा खैर ही करें

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  31. बिलकुल सामयिक और सटीक कविता .वाकई इंसान बेशरम हो चुके हैं
    latest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!

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  32. आखिर ऐसा क्यूँ ?
    बस यही प्रश्न जहन में उठता है
    आखिर मानवता कहाँ चली गई ....
    मर्मस्पर्शी रचना

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  33. बहुत सशक्त तप्सरा भारत दुर्दशा का .शाश्कीय कुव्यवस्था का .

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  34. खुदा न खैर ही नहीं की ना. सुंदर रचना.

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  35. Its naked truth. Govt has left people to die..A new revolution is needed to wipe out dirt from Nation.

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  36. वाकई में आज इंसानियत इन्सान के कारण ही शर्मसार हो रही है कैलाश जी सुंदर रचना।

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  37. आप केदारनाथ में दो सौ रुपए में पानी की बात करते हैं यह तो मौका था जो भुना गया लुटेरों द्वारा पर सामान्‍य दिनचर्या में अपने इर्द-गिर्द घूम रहे लुटेरों को क्‍या कहेंगे आप।

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  38. वाकई खुदा खैर करे...
    मर्मस्पर्शी रचना..

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  39. ऐसों पर जरूर ख़ुदा खैर करे
    सामयिक सार्थक अभिव्यक्ति
    ख़ुदा खैर करे ..............

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  40. लूटते हैं लाशों को भी, ख़ुदा खैर करे.....एक दर्द को बखूबी दर्शाया है

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  41. दिल दहल जाता है देख कर मंज़र,
    क्या गुज़री उन पर, ख़ुदा खैर करे.
    सच कहा है बड़ी ही दुखद घटना है
    सामायिक रचना है !

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  42. शानदार प्रस्तुति मार्मिक प्रसंग उठाती बे -गैरतों को फटकारती सी ...शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का

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  43. बेहद सुन्दर प्रस्तुति

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  44. बेहद सुन्दर प्रस्तुति

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  45. अगर यही है तेरी मर्जी तो क्या करे कोई
    कैसी मजबूरी है देखो, खुदा खैर करे ।

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  46. दुखद घटना..ख़ुदा खैर करे .......

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  47. दुखद घटना...ख़ुदा खैर करे .......

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