गुनाह गर था जो चाहना उसको,
वही है मुंसिफ़ वही फैसला देगा।
वही है मुंसिफ़ वही फैसला देगा।
न राह हमने चुनी है, न मंजिल ही,
कहां है जाना वही फैसला लेगा।
कहां है जाना वही फैसला लेगा।
गुज़र गया है काफ़िला भी अब आगे,
राह सूनी में चलने का हौसला देगा।
राह सूनी में चलने का हौसला देगा।
निभाया साथ बहुत है ज़िंदगी तूने,
वक़्त-ए-रुख्सत पे हौसला देगा।
वक़्त-ए-रुख्सत पे हौसला देगा।
(अगज़ल/अभिव्यक्ति)
...कैलाश शर्मा
बेहतरीन भावों की लड़ी खुबसूरत
ReplyDeleteगुज़र गया है काफ़िला भी अब आगे,
ReplyDeleteराह सूनी में चलने का हौसला देगा।
निभाया साथ बहुत है ज़िंदगी तूने,
वक़्त-ए-रुख्सत पे हौसला देगा।
खूबसूरत अलफ़ाज़
आभार...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति ! आस्था और विश्वास का चरम है यह रचना !
ReplyDeleteअति सुन्दर भाव
ReplyDeleteगुज़र गया है काफ़िला भी अब आगे,
राह सूनी में चलने का हौसला देगा।
निभाया साथ बहुत है ज़िंदगी तूने,
वक़्त-ए-रुख्सत पे हौसला देगा।
बहुत ही भावपूर्ण और प्रभाव शाली रचना ....
ReplyDeleteउम्दा व बेहतरीन रचना , सर धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बेहतरीन रचना...
ReplyDeleteन राह हमने चुनी है, न मंजिल ही,
ReplyDeleteकहां है जाना वही फैसला लेगा।..
उसी ने बहुत पहले से ही ये तय कर रखा है ... भाव पूर्ण हैं सभी शेर ...
बढ़िया अशआर।
ReplyDeleteउम्दा ग़ज़ल।
क्या बात है :)
ReplyDeleteवाह।।। बहुत बढ़िया
ReplyDeleteगुनाह गर था जो चाहना उसको,
ReplyDeleteवही है मुंसिफ़ वही फैसला देगा।
Bahut khoob !
सब कुछ उसी को सौंप कर आगे बढ़ जाने का नाम ही तो जिन्दगी है...
ReplyDeleteबहुत गहरे भावों से सजा गजल गायन। चित्र बहुत मनमोहक है।
ReplyDeleteन राह हमने चुनी है, न मंजिल ही,
ReplyDeleteकहां है जाना वही फैसला लेगा।
उम्दा अशआरों के साथ लिखी ग़ज़ल ,सुन्दर
न राह हमने चुनी है, न मंजिल ही,
ReplyDeleteकहां है जाना वही फैसला लेगा।
गुज़र गया है काफ़िला भी अब आगे,
राह सूनी में चलने का हौसला देगा।
............ शब्दश: मन को छूती पंक्तियां
गुज़र गया है काफ़िला भी अब आगे,
ReplyDeleteराह सूनी में चलने का हौसला देगा। bhawuk kar diya aapki abhiwayakti ne kailash jee .......
न राह हमने चुनी है, न मंजिल ही,
ReplyDeleteकहां है जाना वही फैसला लेगा-----
बहुत सुन्दर और मन को छूती गजल !!वाह !!
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर ---
निभाया साथ बहुत है ज़िंदगी तूने,
ReplyDeleteवक़्त-ए-रुख्सत पे हौसला देगा।
बहुत सुंदर है दोस्त अर्थ भी भाव भी अशआर की बुनावट भी। बहुत सुंदर है दोस्त अर्थ भी भाव भी अशआर की बुनावट भी।
अगज़ल का अपना अंदाज़ देखा ,
बेहतरीन गजल ।
ReplyDeleteसुंदर भाव ।
आभार।
मन को छूते एहसास... बहुत उम्दा, बधाई.
ReplyDeleteजिंदगी स्वयं ही अपना हौसला है !
ReplyDeleteप्रेरक रचना !
दिया है दर्द, अब वही दवा देगा,
ReplyDeleteमिलेगी मंजिल वही हौसला देगा।.....बहुत सुंदर.....
क्या बात वाह!
ReplyDeleteकभी-कभी मन यों ही निर्लिप्त हो जाता है !
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