बहुत
आसान है
उंगली
उठाना,
लेकिन
बहुत कठिन
बनना
राम.
क्या
महसूस कर सकते हो
उस
दर्द को
जो
जिया होगा राम ने,
क्या
बीती होगी उन पर,
कितना
रोया होगा अंतस,
एक
धोबी के कहने पर
त्यागने
में
उस
सीता को
जिसको
किया था प्रेम
अपने
से ज्यादा
और
सहे थे कितने कष्ट
मुक्त
करने को
रावण
की क़ैद से.
लेकिन
राम नहीं थे
एक
स्वेच्छाचारी राजा
जो
दबा देते विरोध की आवाज
एक
धोबी की.
वह
थे एक सच्चे जन नायक
जिनको
स्व-हित से सर्वोपर था
जन हित और जन मत,
बहुमत
नहीं था संबल
अपनी
बात सही सिद्ध करने का
और
दबाने को स्वर
अंतिम
व्यक्ति का.
दबाया
अपना दर्द अंतस में
और
त्यागा सीता को
जनमत
का मान रखने.
त्याग
सकते थे राज्य
देने
साथ सीता का,
लेकिन
नहीं था स्वीकार
अपने
सुख के लिये
भागना उत्तरदायित्व
और क्षत्रिय धर्म से.
हे
राम!
तुम्हारी
महानता का आंकलन
नहीं
संभव,
सोने
को नहीं तोला जाता
लोहे
की तराज़ू में
पत्थर
के बांटों से.
कैलाश शर्मा
ऊँगली उठाने में अपना आप सुरक्षित हो जाता है . राम होना तो दूर की बात है,यहाँ तो कोई रावण भी नहीं हो सकता . एक तृण के ओत का मान रखना कहाँ संभव है !
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteदीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें,,,,,
RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,
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बहुत अच्छा प्रत्युत्तर है।
ReplyDeleteदीप पर्व की परिवारजनों संग हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं.
ReplyDeleteवाह||| लाजवाब रचना...
ReplyDeleteराम जी की पीड़ा ,उनकी मनःस्थिति को शब्द दे दिए....
आपको सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ..
:-)
आदरणीय रश्मि जी की बात से पूर्णत: सहमत हूँ ... बहुत ही जबरदस्त लिखा है आपने
ReplyDeleteसादर
दीपावली की शुभकामनायें...अनुपम प्रस्तुति..
ReplyDeleteसुभानाल्लाह ।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteदीप पर्व की आपको व आपके परिवार को ढेरों शुभकामनायें
मन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ
बहुत सही कहा आपने ....खूबसूरत शब्द रचना
ReplyDeleteदिवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ
----- ।। शुभ-दीपावली ।। -----
ReplyDeleteजबरदस्त शब्द रचना,............................................................. "जो जिया होगा राम ने,
ReplyDeleteक्या बीती होगी उन पर,
कितना रोया होगा अंतस,
एक धोबी के कहने पर
त्यागने में......."दीपावली की शुभकामनायें.
उस सीता को
सचमुच बहुत कठिन है राम बनना... मंगलमय हो दीपों का त्यौहार... आपको व आपके समस्त परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें......
ReplyDeleteहे राम!
तुम्हारी महानता का आकलन
नहीं संभव !
सोने को नहीं तोला जाता
लोहे की तराज़ू में
पत्थर के बांटों से…
आपने बिलकुल सही कहा आदरणीय कैलाश जी भाईजी !
सुंदर रचना …
ReplyDeleteबहुत आसान है
उंगली उठाना,
लेकिन बहुत कठिन
बनना राम.
सुन्दर और सटीक व्याख्या ...
काश राम का हृदय लोग समझ सकते।
ReplyDeleteउम्दा रचना दीपावली की शुभकामनायें ।
ReplyDelete***********************************************
ReplyDeleteधन वैभव दें लक्ष्मी , सरस्वती दें ज्ञान ।
गणपति जी संकट हरें,मिले नेह सम्मान ।।
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दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
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अरुण कुमार निगम एवं निगम परिवार
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deepawali parv par ram ji ka smaran na ho aisa ho nahi sakta. bahut acchhi rachna ka srijan.
ReplyDeleteDeepawali ki shubhkaamnayen.
कैलास जी, एक सच्चे जननायक की समस्त व्यथा को उकेरती रचना ...अति सुन्दर!
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत सुंदर है और बहुत ही सुंदर भाव हैं किंतु एक बात जो सदा मन को कचोटती है वह सीता का वनवास। ना ही तो राजधर्म, पतिधर्म और ना ही मानवधर्म निर्दोष को सजा की अनुमति देता है। कहीं तो श्रीराम भी धर्म से चूके हैं सीता के साथ न्याय तो नहीं ही हुआ अपनी संतुष्टि के लिए कितने भी तर्क दिए जा सकते हैं।
ReplyDeleteसादर
त्याग सकते थे राज्य
ReplyDeleteदेने साथ सीता का,
लेकिन नहीं था स्वीकार
अपने सुख के लिये
भागना उत्तरदायित्व
और क्षत्रिय धर्म से.
बेहद स्तुत्य प्रस्तुति ,आज तो बहु बिध विरोध को दबाया जाता है ,आपातकाल लगाया जाता है ,सेंसर होंगे चैनल भी .इसीलिए तो श्री राम के लिए कहा गया -
राम तुम्हारा चरित स्वयं ही काव्य है ,
कोई कवि बन जाय सहज संभाव्य है .
bhagwaan ki leela bhagwaan hi jane...bahut acchi prastuti..
ReplyDeleteउंगली उठाना बहुत सरल है ... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावी ... आज कुछ ज्यादा ही प्रचलन हो गया है बिना बात के ऊँगली उठाने का ...
ReplyDeleteराम जैसा बनना शायद किसी के लिए भी संभव न हो ... तभी वो राम हैं ओर हम ... बस बातें बनाने वाले ...