उबलते
रहे अश्क़
दर्द की कढ़ाई में,
सुलगते रहे स्वप्न
भीगी लकड़ियों से,
धुआं धुआं होती ज़िंदगी
तलाश में एक सुबह की
छुपाने को अपना अस्तित्व
भोर के कुहासे में।
दर्द की कढ़ाई में,
सुलगते रहे स्वप्न
भीगी लकड़ियों से,
धुआं धुआं होती ज़िंदगी
तलाश में एक सुबह की
छुपाने को अपना अस्तित्व
भोर के कुहासे में।
*****
होते
हैं कुछ प्रश्न
नहीं जिनके उत्तर,
हैं कुछ रास्ते
नहीं जिनकी कोई मंजिल,
भटक रहा हूँ
ज़िंदगी के रेगिस्तान में
एक पल सुकून की तलाश में,
खो जायेगा वज़ूद
यहीं कहीं रेत में।
नहीं जिनके उत्तर,
हैं कुछ रास्ते
नहीं जिनकी कोई मंजिल,
भटक रहा हूँ
ज़िंदगी के रेगिस्तान में
एक पल सुकून की तलाश में,
खो जायेगा वज़ूद
यहीं कहीं रेत में।
...©कैलाश शर्मा
सुंदर क्षणिका
ReplyDeleteनैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
ReplyDeletehttp://alicesophie.hatenablog.com/entry/2015/10/31/155610
ReplyDeleteThe key to successful online marketing is rapid adaptability. If you examine the life span of an online trend you will notice that it sprouts, grows, withers, and then dies very quickly. Comparable more to the life of a mayfly, who is alive above ground for six hours in all it's glory than a shrub or a tree which grow and strengthens over years.
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बहुत उम्दा क्षणिकाएँ
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (04-11-2015) को "कलम को बात कहने दो" (चर्चा अंक 2150) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार..
Deleteबहुत सुन्दर सार्थक क्षणिकाएं !
ReplyDeletesundar kshanikayen hai hardik badhai sharma ji
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर क्षणिकाएँ
ReplyDeleteवाह वाह
ReplyDeleteअनुत्तरित प्रश्न सदैव बेचैन करते रहते है जब तक उनका समुचित उत्तर नहीं मिलता.
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी....
ReplyDeleteआप ने लिखा...
कुठ लोगों ने ही पढ़ा...
हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....
दिनांक 04/11/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की जा रही है...
इस हलचल में आप भी सादर आमंत्रित हैं...
टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
कुलदीप ठाकुर...
आभार..
Deleteबहुत बढ़िया.....सादर नमस्ते भैया
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिकाएँ !
ReplyDeleteहोते हैं कुछ प्रश्न
ReplyDeleteनहीं जिनके उत्तर,
हैं कुछ रास्ते
नहीं जिनकी कोई मंजिल,
भटक रहा हूँ
ज़िंदगी के रेगिस्तान में
एक पल सुकून की तलाश में,
खो जायेगा वज़ूद
यहीं कहीं रेत में।
बहुत खूब ! सुन्दर क्षणिकाएं !
बहुत समय बाद पढ़ा आपको। बहुत उम्दा क्षणिकायें हैं...
ReplyDeleteकैलाश जी बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आप का आभार
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन क्षणिकाएं प्रस्तुत की हैं आपने।
ReplyDeleteबहुत ख़ूब
ReplyDeletehttp://savanxxx.blogspot.in
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteक्या बात है !.....बेहद खूबसूरत रचना....
ReplyDeleteआप को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@आओ देखें मुहब्बत का सपना(एक प्यार भरा नगमा)
नयी पोस्ट@धीरे-धीरे से
बहुत सुन्दर
ReplyDeletebahut sundar kshanikayen
ReplyDeleteबहुत खूब |
ReplyDeletewah bahut khoob ...
ReplyDeletehttp://hairlossprotocol101.net/hair-loss-protocol-scam
ReplyDeleteThediabetesdestroyerreview.com
Very nice photo ;)
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