दो दो घरों की इज्ज़त औ' प्यार बेटियाँ,
कुदरत का सबसे अनुपम उपहार बेटियाँ.
लगती है आग ज़ब, घर के चिराग से,
शीतल बयार बनकर, आती हैं बेटियाँ.
जब भी हैं घेर लेतीं, तनहाइयां मुझे,
मीठी सी याद बनकर आती हैं बेटियाँ.
बंट जाती फ़र्ज़ में, दो दो घरों के बीच,
फ़िर भी पराये घर की लगती न बेटियाँ.
आँगन भले ही सूना, जाने के उसके बाद,
दिल के करीब हर दम, रहती हैं बेटियाँ.
कैलाश शर्मा
कुदरत का सबसे अनुपम उपहार बेटियाँ.
लगती है आग ज़ब, घर के चिराग से,
शीतल बयार बनकर, आती हैं बेटियाँ.
जब भी हैं घेर लेतीं, तनहाइयां मुझे,
मीठी सी याद बनकर आती हैं बेटियाँ.
बंट जाती फ़र्ज़ में, दो दो घरों के बीच,
फ़िर भी पराये घर की लगती न बेटियाँ.
आँगन भले ही सूना, जाने के उसके बाद,
दिल के करीब हर दम, रहती हैं बेटियाँ.
कैलाश शर्मा
वाह SIR पढ़ कर मज़ा आ गया
ReplyDelete(अरुन = arunsblog.in)
बहुत सुन्दर....................
ReplyDeleteएक बेटी होने के नाते मुझे आपकी कविता और भी ज्यादा भाई......
सादर.
आँगन भले ही सूना, जाने के उसके बाद,
ReplyDeleteदिल के करीब हर दम, रहती हैं बेटियाँ.
वाकई बेटियाँ दिल के करीब होती हैं.
बहुत बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
वाह !
ReplyDeleteबेटियों के लिए इतनी अच्छी-अच्छी बातें...
पढ़कर बहुत अच्छा लगा.
बेटियाँ होती ही इतनी अच्छी हैं....
Deleteअब तो करती हैं कमाल बेटियाँ,
ReplyDeleteबूढ़े बाप का रखतीं खयाल बेटियाँ !
सुन्दर और सार्थक पोस्ट।
ReplyDeleteसच ऐसी ही होती हैं बेटियाँ
ReplyDeleteवाह,,,, बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,सच मुच ऐसी ही होती है बेटियाँ,,,,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,
जब भी हैं घेर लेतीं, तनहाइयां मुझे,
ReplyDeleteमीठी सी याद बनकर आती हैं बेटियाँ.
वाह ..बहुत ही बढिया।
जिम्मेदारी का वहन, करती बहन सटीक |
ReplyDeleteमौके पर मिलती खड़ी, बेटी सबसे नीक |
बेटी सबसे नीक, पिता की गुड़िया रानी |
चले पकड़ के लीक, बेटियां बड़ी सयानी |
रविकर का आशीष, बेटियाँ बढ़ें हमारी |
मातु-पिता जा चेत, समझ निज जिम्मेदारी ||
आपकी बात से सहमत हूँ!
ReplyDeleteअच्छी भावाभिव्यक्ति है।
बहुत प्यारी सी रचना...
ReplyDeleteसादर
बहुत प्यारी और सुन्दर रचना...
ReplyDelete:-)
बहुत सुन्दर रचना... " करते विदा जब डोली में,तब पराई होजाती है बेटियां
ReplyDeleteउदास मन सूना आँगन, फिर बहुत याद आती है बेटियां.."....
...मनभावन रचना...आपने बहुत ही बढ़िया रचना पोस्ट की है!
ReplyDeleteला-जवाब रचना!!
ReplyDeleteबेहतरीन . दिलकी आवाज़ और सच्चाई को शब्द मिले,
ReplyDeletebetiyan....jo baant de apni sari khushiya...vahi kahlati hain betiyan.
ReplyDeletesunder prastuti.
बहुत प्यारी और सुन्दर रचना...
ReplyDeleteआपकी पोस्ट कल 14/6/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा - 902 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
आपने टिप्पणी में सच कहा बेटीयों होती ही इतनी अच्छी है
ReplyDeleteहिन्दी दुनिया ब्लॉग (नया ब्लॉग)
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 14-06-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... ये धुआँ सा कहाँ से उठता है .
Betiyan aisi hi hoti hain ... Khushiyan le ke Aati hain .. Khushiyan bhar jaati hain jeevan mein ...
ReplyDeleteसुंदर रचना !!
ReplyDeleteचाहे कही भी हो दुनिया में दिल में हर पल रहती है बेटीया
ReplyDeleteबेटियाँ उन लहरों से जुडी होती हैं , जिनके थपेड़े माँ बाप सहते हुए हँसते हैं -
ReplyDeleteकाश ! इस सच को लोग याद रख सकें ......
ReplyDeleteबेहतरीन, बहुत प्यारी और सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteमेरे लिए सबसे अच्छा शेर यही है शर्मा जी
ReplyDeleteदो दो घरों की इज्ज़त औ' प्यार बेटियाँ,
कुदरत का सबसे अनुपम उपहार बेटियाँ.
बधाई !!
लगती है आग ज़ब, घर के चिराग से,
ReplyDeleteशीतल बयार बनकर, आती हैं बेटियाँ.
हर दम ही दिल के पास रहतीं हैं बेटियाँ ,जब बे -दिली हो घर में .....बहुत बढ़िया रचना है सच्चे एहसासों की ज़िन्दगी के अनुभूत सच की .
कल 15/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
इन्हें कैसे भुलाएं हम, हमारे साथ रहती हैं !
ReplyDeleteहमारे घर में रौनक,सिर्फ इनके साथ होती है !
सच कहा आपने, दो घरों को महकाती हैं बेटियाँ..
ReplyDeleteबड़ी प्यारी होती हैं ये बेटियाँ ....दिल के करीब होती हैं ये बेटियाँ
ReplyDeleteलगती है आग ज़ब, घर के चिराग से,
ReplyDeleteशीतल बयार बनकर, आती हैं बेटियाँ...
bahut sundar...
.
बेटियां न हो तो कुछ नहीं...
ReplyDeleteaadarniy sir
ReplyDeletebetiyan to gharon ki shan hoto hain .
fir bhi samaaj me bete -betiyon me antar ythavat hai.
sach likh hai aapne betiyon se hi to ghar ka kona -kona mahkta hai.
behtreen post
poonam
sach me betiyan to dil ki dharkan hoti hai..
ReplyDeleteबेटियाँ.......एक जिम्मेदारी
ReplyDeleteपत्नी........एक जिम्मेदारी
माँ.........एक जिम्मेदारी
आखिर...........
कब तक रहेगी जिम्मेदार नारी
क्यों बहलाते है बोलकर प्यारी
betiya to bad betiyan hoti hai ....
ReplyDeleteआँगन भले ही सूना, जाने के उसके बाद,
ReplyDeleteदिल के करीब हर दम, रहती हैं बेटियाँ.
दिल को छूने वाली पंक्तियाँ !
one word will suffice
ReplyDeleteBEAUTIFUL.. :)
आपकी बात से सहमत हूँ!
ReplyDeleteसुंदर मनमोहक प्रस्तुति
ReplyDeleteएक माँ के लिए पूर्णता का अहसास है बेटियाँ
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