(१)
एक हाँ या ना
बदल देती कभी
सारी ज़िंदगी.
(२)
आंसू को रोको
पोंछेगा नहीं कोई
स्वार्थी दुनियां.
(३)
रिश्तों की लाश
उठायें कन्धों पर
कितनी दूर?
(४)
पाला था जिन्हें
बिठा पलकों पर
चुराते आँखें.
(५)
सुखा के गयी
प्रेम का सरोवर
स्वार्थों की धूप.
(६)
बड़े हैं घर
मगर दिल छोटा
वक़्त के रंग.
कैलाश शर्मा
saare haiku se ek se badh kar ek.....!
ReplyDeletebahut sundar shaandaer haaiku.ek se badhkar ek.
ReplyDeleteपाला था जिन्हें
ReplyDeleteबिठा पलकों पर
चुराते आँखें.
सारे हाइकू बहुत अच्छे लगे,,,,,
MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
हर एक हाइकू दिखा रहा है जीवन के अलग-अलग रंग....
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया हाईकू
ReplyDeleteसभी बेहतरीन...
:-)
एक से बढ़कर एक हाइकु |
ReplyDeleteबधाई सर जी ||
सभी के सभी बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteरिश्तों की लाश
ReplyDeleteउठायें कन्धों पर
कितनी दूर?
वाह ... लाजवाब प्रस्तुति .. आभार
कैलाश जी सुन्दर हाइकु लिखते हैं आप मन प्रफुल्लित हो गया आपके सुन्दर शव्दों से .....
ReplyDeleteसुखा के गयी
प्रेम का सरोवर
स्वार्थों की धूप.
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण हायेकु...
ReplyDeleteअनु
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण हाईकु...बधाई कैलाश जी...
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत...
ReplyDeleteसभी हाइकु सार्थक !!
ReplyDeleteबड़े हैं घर
ReplyDeleteमगर दिल छोटा
वक़्त के रंग
सशक्त प्रयास ...
kamaal ki haiku.
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक हाईकू ..बहुत सुंदर..
ReplyDeleteबड़े हैं घर
ReplyDeleteमगर दिल छोटा
वक़्त के रंग
बहुत सुंदर हाइकु .....
सारे के सारे बहुत अछे.. ये वाली मुझे सबसे ज्यादा पसंद आई:
ReplyDeleteआंसू को रोको
पोंछेगा नहीं कोई
स्वार्थी दुनियां.
सादर
कम शब्दों अधिक बात. सार्थक हाइकू...
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteपाला था जिन्हें
ReplyDeleteबिठा पलकों पर
चुराते आँखें.
सुखा के गयी
प्रेम का सरोवर
स्वार्थों की धूप.
एक से बढ़कर एक हाइकू ...
पाला था जिन्हें
ReplyDeleteबिठा पलकों पर
चुराते आँखें.
ऐसा भी/ही होता है
सुन्दर .. बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (23-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सुन्दर हाईकु रचनाएँ सर...
ReplyDeleteसादर
(४)
ReplyDeleteपाला था जिन्हें
बिठा पलकों पर
चुराते आँखें.
ज़िन्दगी खुद एक हाइकु ,
कभी ऊपर कभी नीचे .
बड़े हैं घर
ReplyDeleteमगर दिल छोटा
वक़्त के रंग....
बहुत खूब ... मजवाब हैं सभी हाइकू ... अपनी बात कों स्पष्ट कहते हुवे ...