Thursday, June 21, 2012

हाइकु


  (१)
एक हाँ या ना
बदल देती कभी
सारी ज़िंदगी.


   (२)
आंसू को रोको
पोंछेगा नहीं कोई
स्वार्थी दुनियां.


   (३)
रिश्तों की लाश
उठायें कन्धों पर
कितनी दूर?


   (४)
पाला था जिन्हें
बिठा पलकों पर 
चुराते आँखें.


   (५)
सुखा के गयी
प्रेम का सरोवर
स्वार्थों की धूप.


   (६)
बड़े हैं घर
मगर दिल छोटा
वक़्त के रंग.


कैलाश शर्मा 

26 comments:

  1. bahut sundar shaandaer haaiku.ek se badhkar ek.

    ReplyDelete
  2. पाला था जिन्हें
    बिठा पलकों पर
    चुराते आँखें.

    सारे हाइकू बहुत अच्छे लगे,,,,,

    MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...

    ReplyDelete
  3. हर एक हाइकू दिखा रहा है जीवन के अलग-अलग रंग....

    ReplyDelete
  4. बहुत ही बढ़िया हाईकू
    सभी बेहतरीन...
    :-)

    ReplyDelete
  5. एक से बढ़कर एक हाइकु |
    बधाई सर जी ||

    ReplyDelete
  6. सभी के सभी बहुत बढ़िया ।

    ReplyDelete
  7. रिश्तों की लाश
    उठायें कन्धों पर
    कितनी दूर?

    वाह ... लाजवाब प्रस्‍तुति .. आभार

    ReplyDelete
  8. कैलाश जी सुन्दर हाइकु लिखते हैं आप मन प्रफुल्लित हो गया आपके सुन्दर शव्दों से .....

    सुखा के गयी
    प्रेम का सरोवर
    स्वार्थों की धूप.

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण हायेकु...

    अनु

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण हाईकु...बधाई कैलाश जी...

    ReplyDelete
  11. बड़े हैं घर
    मगर दिल छोटा
    वक़्त के रंग

    सशक्त प्रयास ...

    ReplyDelete
  12. एक से बढ़कर एक हाईकू ..बहुत सुंदर..

    ReplyDelete
  13. बड़े हैं घर
    मगर दिल छोटा
    वक़्त के रंग

    बहुत सुंदर हाइकु .....

    ReplyDelete
  14. सारे के सारे बहुत अछे.. ये वाली मुझे सबसे ज्यादा पसंद आई:

    आंसू को रोको
    पोंछेगा नहीं कोई
    स्वार्थी दुनियां.

    सादर

    ReplyDelete
  15. कम शब्दों अधिक बात. सार्थक हाइकू...

    ReplyDelete
  16. सार्थक अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  17. पाला था जिन्हें
    बिठा पलकों पर
    चुराते आँखें.

    सुखा के गयी
    प्रेम का सरोवर
    स्वार्थों की धूप.
    एक से बढ़कर एक हाइकू ...

    ReplyDelete
  18. पाला था जिन्हें
    बिठा पलकों पर
    चुराते आँखें.

    ऐसा भी/ही होता है
    सुन्दर .. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  19. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (23-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!

    ReplyDelete
  20. सुन्दर हाईकु रचनाएँ सर...
    सादर

    ReplyDelete
  21. (४)
    पाला था जिन्हें
    बिठा पलकों पर
    चुराते आँखें.
    ज़िन्दगी खुद एक हाइकु ,

    कभी ऊपर कभी नीचे .

    ReplyDelete
  22. बड़े हैं घर
    मगर दिल छोटा
    वक़्त के रंग....

    बहुत खूब ... मजवाब हैं सभी हाइकू ... अपनी बात कों स्पष्ट कहते हुवे ...

    ReplyDelete