Friday, June 29, 2012

क्षणिकाएं

   (१)
वक़्त के पन्ने 
हो गये पीले,
जब भी पलटता हूँ
होता है अहसास 
तुम्हारे होने का.

   (२)
तोड़ कर आईना
बिछा दीं किरचें
फ़र्श पर,
अब दिखाई देते 
अपने चारों ओर
अनगिनत चेहरे
और नहीं होता महसूस
अकेलापन कमरे में.

   (३)
दे दो पंख 
पाने दो विस्तार 
उड़ने दो मुक्त गगन में
आज सपनों को,
बहुत रखा है क़ैद 
इन बंद पथरीली आँखों में.

   (४)
जब भी होती हो सामने
न उठ पाती पलकें,
हो जाते निशब्द बयन
धड़कनें बढ़ जातीं.
तुम्हारे जाने के बाद
करता शिकायतें
तुम्हारी तस्वीर से,
नहीं समझ पाया आज तक
कैसा ये प्यार है.

कैलाश शर्मा 

40 comments:

  1. इन क्षणिकाओं में आपने बहुत ही गहन अर्थ पिरो दिये हैं.... लाजवाब.


    अंतिम क्षणिका में 'निःशब्द बयन' ... कहीं 'निःशब्द बयाँ' तो नहीं या कुछ और है.

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    1. यहाँ 'बयन' शब्द का प्रयोग वाणी/ बोली के अर्थ में किया है. आभार

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    2. Bhaut Koob likha hai Kailash ji.. kayee yaadein taja ho gayi
      thanks for giving beautiful lines to read

      regards
      sniel

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  2. बेहतरीन क्षणिकाएँ हैं सर!


    सादर

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  3. बहुत ही बेहतरीन क्षणिकायें है..
    सभी एक नए भाव लिए...
    गहराई भरे...
    :-)

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  4. waah bahut acche hai ...gagar me sagar....

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  5. सुन्दर गहन भाव प्रेषित करती हुई क्षणिकाएँ
    अच्छी लगीं पढकर.

    आभार,कैलाश जी.

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  6. तोड़ कर आईना
    बिछा दीं किरचें
    फ़र्श पर,
    अब दिखाई देते
    अपने चारों ओर
    अनगिनत चेहरे
    और नहीं होता महसूस
    अकेलापन कमरे में.

    बहुत बढ़िया .... सभी क्षणिकाएन अच्छी लगीं

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  7. वाह! लाजवाब है सभी क्षणिकायेँ...
    सादर बधाई।

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  8. वाह ... बहुत खूब सभी क्षणिकाएं एक से बढ़कर एक ... आभार

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  9. क्षणिकाएं -
    सचमुच
    अटकाती जाएँ |
    गहन-भाव
    आभार सर जी ||

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  10. वाह ………बेहतरीन क्षणिकाएँ

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  11. तोड़ कर आईना
    बिछा दीं किरचें
    फ़र्श पर,
    अब दिखाई देते
    अपने चारों ओर
    अनगिनत चेहरे
    और नहीं होता महसूस
    अकेलापन कमरे में.


    यकीनन यह भी तरीका है अकेलापन दूर करने का
    सभी लाजवाब

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  12. तोड़ कर आईना
    बिछा दीं किरचें
    फ़र्श पर
    अब दिखाई देते
    अपने चारों ओर
    अनगिनत चेहरे
    और नहीं होता महसूस
    अकेलापन कमरे में

    जीवन की अनुभूत सच्चाइयों को उकेरती सुंदर क्षणिकाएं।

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  13. बेहतरीन क्षणिकाएं....

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  14. बेहतरीन क्षणिकाएं....

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  15. सभी क्षणिकाएं गहन भाव लिए बहुत सुन्दर हैं..

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  16. वक़्त के पन्ने
    हो गये पीले,
    जब भी पलटता हूँ
    होता है अहसास
    तुम्हारे होने का.....ओह ! बहुत सुन्दर

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  17. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ

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  18. तोड़ कर आईना
    बिछा दीं किरचें
    फ़र्श पर
    अब दिखाई देते
    अपने चारों ओर
    अनगिनत चेहरे
    और नहीं होता महसूस
    अकेलापन कमरे में
    सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर है ये क्षणिका बहुत बहुत पसंद आई

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  19. गहन भाव प्रेषित करती हुई, सुंदर क्षणिकाएँ,,,

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,

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  20. सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर है... गहन अर्थ लिए हुए...आभार

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  21. वक़्त के पलटते पन्नों पर अहसास से लेकर प्यार नहीं समझ पाने तक सब बेहतरीन है !

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  22. सभी एक से बढ़ कर एक क्षणिकाएँ हैं! क्या कहने ! बहुत ही सुन्दर !

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  23. all the verses are very powerful and expressive..
    3rd one...
    दे दो पंख
    पाने दो विस्तार
    उड़ने दो मुक्त गगन में
    आज सपनों को..

    Loved it most :)

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  24. वाह - वाह , क्या बात है SIR

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  25. बुत बहुत प्यारी क्षणिकाये.....

    सादर

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  26. गहरा अर्थ और जीवन का सार समेटे लाजवाब हैं चारों क्षणिकाएं ...
    प्रभावी अभिव्यक्ति ...

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  27. सभी की सभी बेहतरीन हैं ।

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  28. दे दो पंख
    पाने दो विस्तार
    उड़ने दो मुक्त गगन में
    आज सपनों को..

    सपनो को विस्तार मिल जाए इससे अच्छी बात क्या हो सकती है...
    सभी क्षणिकाएँ बेहतरीन हैं !!

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  29. सुरुचिपूर्ण क्षणिकाएँ...आभार! वह सदा ही साथ है...

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  30. बहुत खूब ......सादर

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  31. एक से बढ़कर एक, दमदार..

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  32. वक़्त के पन्ने
    हो गये पीले,
    जब भी पलटता हूँ
    होता है अहसास
    तुम्हारे होने का.

    सभी बहुत सुंदर भावपूर्ण क्षणिकाएँ.

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  33. अच्छी लगीं क्षणिकाएँ...बहुत ही सुन्दर...

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