हजारों क़दमों के चलने से
बनी पगडंडी
नहीं पहुंचाती
किसी नयी मंज़िल पर.
छोड़ देना नौका को
लहरों के सहारे
दे सकता है कुछ पल को
अनिश्चितता जनित संतोष,
पर पाने को साहिल
उठाना होता है चप्पू
अपने ही हाथों में.
चलना होता है
कंटक भरी पथरीली राह पर
नयी मंज़िल की खोज़ में
और बन जाती है
एक नयी पगडंडी
पीछे चलते लोगों से.
कैलाश शर्मा
(१)
अंधियारे का मौन
नयनों का सूनापन
अश्कों की अतृप्त प्यास
रिश्तों की झूठी आस
धड़कते दिल की गूँजती आवाज़
रहते हैं हर समय साथ
इस कमरे में
और नहीं महसूस होने देते
दर्द अकेलेपन का.
(२)
आती नहीं कोई आहट
दरवाज़े पर,
मौन हैं गलियों में
कदमों के स्वर,
तोड़ने को मौन
अकेलेपन की घुटन का
पूछते हैं एक दूसरे से
क्या तुमने कुछ कहा.
(३)
चले थे अकेले
जुड़ते रहे लोग
कारवां चलता रहा.
आये कुछ मोड़
छूट गए रिश्ते,
और आज इस मोड़ पर
खड़ा अकेला
ढूँढ़ रहा हूँ
उस कारवां के
कदमों के निशां.
कैलाश शर्मा
दिल बंजारा ठहर गया क्यों
इसको तो चलते जाना है.
मंज़िल नहीं कोई भी इसकी,
इसको तो बढ़ते जाना है.
कोई नहीं उम्र का बंधन,
जो मिल जाये प्यार बाँट लो.
कोई नहीं ठांह है अपनी,
जहां रुको उसको अपना लो.
हर राहों को अपना समझो,
जो भी मोड़ मिले अपनालो.
खुशियाँ चलो बांटते पथ में,
गम अपनी झोली में डालो.
बहना सदां नदी का जीवन,
रुकने से दूषित हो जाती.
मोह पाश में मत बंध जाना,
चाहत सदां राह भटकाती.
थक कर मत बैठो बंजारे
चलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर.
कैलाश शर्मा
नहीं अच्छा लगता
लगवाना चहरे पर
हरे, पीले, लाल फ़ीके रंग,
जो रंग देते हैं
केवल तन को
और रह जाता है अंतर्मन
बिलकुल कोरा.
दूरियाँ हैं केवल तन की
पर मन कहाँ मानता
इन दूरियों को,
मनाता है अब भी होली
बैठ कर अकेले कमरे में.
ले आती हैं
तुम्हारी यादें
अनेक रंग चहरे पर
और मन जाती है होली
मेरी तुम्हारे साथ.
होली की हार्दिक शुभकामनाएं.
(अपने भोपाल प्रवास की वजह से कुछ समय से मैं अपने मित्रों के ब्लॉग पर नहीं जा पा रहा हूँ, जिसके लिये क्षमा प्रार्थी हूँ.)
कैलाश शर्मा
अभ्युदय के जन्म दिन पर नाना और नानी का
ढेरों प्यार और आशीर्वाद
हर वर्ष खुशी के हों मेले,
हर दिन खुशियाँ लेकर आये.
गंगा सी तुम शुचिता पाओ,
सूरज प्रकाश लेकर आये.
जब से तुम आँगन में आये,
हर कोना गुलज़ार हो गया.
बीत गया पतझड़ का मौसम,
फिर वसंत का राज हो गया.
अपना बचपन पाया तुझमें,
फिर जीने की चाह जग गयी.
खोया था जीवन में जो कुछ,
उस सब की है याद गुम गयी.
शत शत बार जन्मदिन आये,
सपने हों पूरे जीवन के.
मम्मा पापा की बगिया में
रहो सदां फूल से खिल के.
कैलाश शर्मा