Saturday, July 06, 2019

मेरी जीवन अभिलाषा हो


तुम संबल हो, तुम आशा हो,
तुम जीवन की परिभाषा हो।

शब्दों का कुछ अर्थ न होता,
उन से जुड़ के तुम भाषा हो।

जब भी गहन अँधेरा छाता,
जुगनू बन देती आशा हो।

जीवन मंजूषा की कुंजी,
करती तुम दूर निराशा हो।

नाम न हो चाहे रिश्ते का,
मेरी जीवन अभिलाषा हो।

...©कैलाश शर्मा