(१)
अंतिम यात्रा
कितनी आँखें नम
है उपलब्धि.
(२)
धन दौलत
क्यों इतना गरूर
सब नश्वर.
(३)
खाली थे हाथ
खाली ही ये जायेंगे
क्यों है घमंड.
(४)
सुव्यवहार
प्रेम और नम्रता
हारा गरूर.
(५)
कैसा गरूर
किस पर गरूर
क्या है तुम्हारा ?
(६)
यात्रा हो कोई
सत्कर्म देंगे साथ
मंजिल तक.
(७)
आये शून्य से
भूले अंतराल में
जाना शून्य में.
जाना शून्य में.
(८)
जियो आज़ में
मत बिगाड़ो कल
डूब कल में.
(९)
दिखाता सत्य
अंतस का आईना
मानें या नहीं.
(१०)
आस्था
की नाव
तूफ़ान
गए हार
सागर
पार.
.....कैलाश शर्मा