आज दिल ने है कुछ
कहा होगा,
अश्क़ आँखों में थम
गया होगा।
आज खिड़की नहीं कोई
खोली,
कोइ आँगन में आ गया
होगा।
आज सूरज है कुछ इधर
मद्धम,
केश से मुख है ढक
लिया होगा।
दोष कैसे किसी को
मैं दे दूं,
तू न इस भाग्य में
लिखा होगा।
दोष मेरा है, न कुछ
भी तेरा,
वक़्त ही बावफ़ा न रहा
होगा।
...©कैलाश शर्मा