ढल जायेगी रात,
सहर फ़िर आयेगी,
मन में हो विश्वास,
राह मिल जायेगी.
क्यों तलाशते राह
मिलें न कांटे जिसमें.
कहाँ मिलेंगे नयन
न आये आंसू जिसमें.
सुख दुःख ले लो साथ,
वक़्त की देन समझ कर,
गम के बादल आज,
खुशी कल आयेगी.
सूरज जब उगता है,
डरता कब ढलने से.
काँटों से घिर गुलाब,
न डरता है खिलने से.
अगर न हो संघर्ष,
तो जीवन सूना सूना,
खोओगे एक राह,
नयी मिल जायेगी.
कितना भी ऊँचा हो पर्वत,
हिम्मत से ऊँचा कब होता?
कितना लंबा सफ़र चाँद का,
मगर राह में कहीं न सोता.
राहें हों सुनसान,
पथिक कब रुकता है,
थकने दो न पांव,
तो मंज़िल आयेगी.
कैलाश शर्मा
कैलाश शर्मा
कितना भी ऊँचा हो पर्वत,
ReplyDeleteहिम्मत से ऊँचा कब होता?
सशक्त भाव ... उत्कृष्ट लेखन .. आभार आपका
राहें हों सुनसान,
ReplyDeleteपथिक कब रुकता है,
थकने दो न पांव,
तो मंज़िल आयेगी,,,,,
मन मोहक सुंदर उत्कृष्ट प्रस्तुति ,,,,,
MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
.
क्यों तलाशते राह
ReplyDeleteमिलें न कांटे जिसमें.
कहाँ मिलेंगे नयन
न आये आंसू जिसमें...
सच है ये तो जीवन की रीत है ... फूलों के साथ कांटे होते हैं तभी फूलों का मज़ा रहता ही .. सुख दुःख के बाद अधिक बढ़ जाता है ...
अगर न हो संघर्ष,
ReplyDeleteतो जीवन सूना सूना,
खोओगे एक राह,
नयी मिल जायेगी.
प्रेरणा जगातीं भावपूर्ण पंक्तियाँ...सुंदर कविता !
सूरज जब उगता है,
ReplyDeleteडरता कब ढलने से.
काँटों से घिर गुलाब,
न डरता है खिलने से... तो हिम्मत क्यूँ हारना , अँधेरे के बाद सवेरा है न
थकने दो न पांव,
ReplyDeleteतो मंज़िल आयेगी.
sargarbhit ...bahut sundar rachna ...
shubhkamnayen .
सकरात्मक भाव लिए निराशा मेन भी आशा के दीप जालती सुंदर सार्थक रचना...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका सवागत है http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/
ReplyDeleteक्यों तलाशते राह
ReplyDeleteमिलें न कांटे जिसमें.
कहाँ मिलेंगे नयन
न आये आंसू जिसमें.
आशा के समझौता वादी स्वर .कितनी दूरी मंजिल की हो चलते चलते कट जाती है .
प्रेरणा जगातीं भावपूर्ण पंक्तियाँ..सुंदर सार्थक रचना.
ReplyDeleteकितना भी ऊँचा हो पर्वत,
ReplyDeleteहिम्मत से ऊँचा कब होता?
वाह! बहुत ही प्रेरक गीत....
सादर।
ढल जायेगी रात,
ReplyDeleteसहर फ़िर आयेगी,
मन में हो विश्वास,
राह मिल जायेगी....बस इसी हौसले की जरुरत है..... हम सभी को.....
जब तक बाधाएं न होंगी पथ में.
ReplyDeleteहम सबसे अलग दिखेंगे कैसे...?
बहुत सच कहा है....
Deleteबिना पाँव थके और आँखे पथराये मंजिल कहाँ मिलती है।
ReplyDeleteराही चल चला चल....
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत...
सादर.
प्रेरणा जगातीं भावपूर्ण सुन्दर गीत....मन में हो विश्वास,
ReplyDeleteराह मिल जायेगी.
बहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
Waah.... Bahut khoob!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर होंसले जगाती हुई अप्रतिम रचना ....बधाई आपको
ReplyDeleteutsaah jagaati rachna. badhayi.
ReplyDeleteक्यों तलाशते राह
ReplyDeleteमिलें न कांटे जिसमें.
कहाँ मिलेंगे नयन
न आये आंसू जिसमें.
सकारात्मक सोच लिए हुए सुन्दर रचना
ढल जायेगी रात,
ReplyDeleteसहर फ़िर आयेगी,
मन में हो विश्वास,
राह मिल जायेगी.
विश्वास की शक्ति बनाए रखना जरूरी है...
उत्कृष्ट रचना !!!
क्यों तलाशते राह
ReplyDeleteमिलें न कांटे जिसमें.
कहाँ मिलेंगे नयन
न आये आंसू जिसमें.......khoobsurat bhaw......
थकने दो न पांव,
ReplyDeleteतो मंज़िल आयेगी
आगे बदने को प्रेरित करती रचना
आत्मविश्वास जगाती प्रेरक रचना, शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteअगर न हो संघर्ष,
ReplyDeleteतो जीवन सूना सूना,
खोओगे एक राह,
नयी मिल जायेगी.
बेहतरीन...आशा जगाती ये पोस्ट।
आशा और विश्वास जगाती बेहतरीन रचना...
ReplyDeleteऐसे ही आत्मविश्वास के साथ चले तो मंजिल दूर नहीं...
:-)
मन में हैं विश्वास ...पूरा हैं विश्वास कि हर राह खुद चल कर अपने करीब आएगी
ReplyDeleteक्यों तलाशते राह
ReplyDeleteमिलें न कांटे जिसमें.
यह बहोत अच्छा लगा
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खग उड़ते रहना जीवन भर ....
ReplyDeleteसुन्दर आशावादी कविता
आभार