Thursday, January 17, 2013

उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ


लेने से ज़न्म पहले ही मरती हैं बेटियाँ,   
सब बोझ भेद भाव का ढ़ोती हैं बेटियाँ.
फ़िरते हैं गुनहगार खुले आम सड़क पर,
उनका गुनाह उम्र भर ढ़ोती हैं बेटियाँ.

सब टोक और बंदिशें सहती हैं बेटियाँ,
वारिस कपूत बेटे भी, पराई हैं बेटियाँ.
हर वक़्त इंतजार करती हैं प्यार का,
रह कर के मौन देती हैं प्यार बेटियाँ.

घर से हों चाहे दूर, पर कब दूर बेटियाँ,
पल भी नयन मुंदें तो दिखती हैं बेटियाँ.
सूना हुआ है आँगन, आती है याद तेरी,
तस्वीर बन के केवल रह जाती बेटियाँ.

माँ बाप की खुशी, जब खुश रहती बेटियाँ,
सहते हैं दर्द कितना, जब रोती हैं बेटियाँ.
इज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ.

कैलाश शर्मा 

48 comments:

  1. वाह वाह...... बहुत बहुत सुन्दर ।

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  2. बेहतरीन अभिव्यक्ति .............उम्दा पंक्तियां....... घर से हों चाहे दूर, पर कब दूर बेटियाँ,
    पल भी नयन मुंदें तो दिखती हैं बेटियाँ.
    सूना हुआ है आँगन, आती है याद तेरी,
    तस्वीर बन के केवल रह जाती बेटियाँ.

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  3. बेटी से शुरू और बेटी पर ही ख़तम शानदार रचना सुन्दरता से परिपूर्ण हार्दिक बधाई.

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  4. बेटियों पर शानदार प्रस्तुति सच में ऐसी ही होती हैं बेटियाँ

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  5. बहुत सुन्दर कविता लिखी आपने

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  6. सुन्‍दर बहुत सुन्‍दर

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  7. माँ बाप की खुशी, जब खुश रहती बेटियाँ,
    सहते हैं दर्द कितना, जब रोती हैं बेटियाँ.
    इज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
    उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ.
    बेहद सटीक पंक्तियां
    ... सादर

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  8. वारिस कपूत बेटे भी, पराई हैं बेटियाँ.........
    अच्छी रचना !!

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  9. बेहतरीन अभिव्यक्ति सुन्दर कविता***^^^*** घर से हों चाहे दूर, पर कब दूर बेटियाँ,
    पल भी नयन मुंदें तो दिखती हैं बेटियाँ.
    सूना हुआ है आँगन, आती है याद तेरी,
    तस्वीर बन के केवल रह जाती बेटियाँ.

    माँ बाप की खुशी, जब खुश रहती बेटियाँ,
    सहते हैं दर्द कितना, जब रोती हैं बेटियाँ.
    इज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
    उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ.

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  10. खुबसूरत ....अब तो समझो क्या ...... कहती हैं बेटियां

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  11. घर से हों चाहे दूर, पर कब दूर बेटियाँ,
    पल भी नयन मुंदें तो दिखती हैं बेटियाँ.
    सूना हुआ है आँगन, आती है याद तेरी,
    तस्वीर बन के केवल रह जाती बेटियाँ.,,,

    वाहवाह,,,बहुत सुंदर लाजबाब पंक्तियाँ ,,,कैलाश जी बधाई,,

    recent post: मातृभूमि,

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  12. बेटे की टें टें सहो, नहीं *टेंट में माल ।

    दाब सके नहिं **टेंटुवा, #टेंकाना दे टाल ।

    टेंकाना दे टाल, माल सब हजम कर लिया ।

    आँखों की हो जांच, किन्तु नहिं फ्रेम ले दिया ।

    रविकर बेटी नीक, युगल परिवार समेटे ।

    है संवेदनशील, मस्त अपने में बेटे ।।

    *कमर के पास खोंसी हुई धोती

    **गला

    #सहारा

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  13. हर पल मन के अंदर बसती है बेटिया...

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  14. इज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
    उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ.
    बेहद संवेदनशील भाव लिए रचना।।।

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  15. जगत असम्भव बिन बेटी के..

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  16. काश! उनके घरों में कभी बेटियाँ हो ही न..या फिर होती भी होंगी तो मार देते होंगे ..

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  17. बहुत प्यारी रचना....
    मन को छू गयी...

    सादर
    अनु

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  18. बहुत ही सुन्दर कविता सर |

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  19. माँ बाप की खुशी, जब खुश रहती बेटियाँ,
    सहते हैं दर्द कितना, जब रोती हैं बेटियाँ.
    इज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
    उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ.
    बिलकुल सही ........ कडवी पर सच्चाई !!

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  20. शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .मार्मिक प्रासंगिक .

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  21. इज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
    उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ.
    सटीक अभिव्यक्ति ... संवेदनशील रचना...आभार

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  22. bahut sundar..betiyan hai to ghar aangan me chahal pahal hai..

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  23. बहुत ही भावों भरी रचना ........sriramroy.blogspot.in

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  24. बहुत अच्छा लिखा है. सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  25. बेहतरीन ...मर्मस्पर्शी रचना

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  26. बहुत कहा मगर अब भी बहुत बाकी है ....
    ईश्वर का आशीर्वाद है बेटियाँ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...!

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  27. सब टोक और बंदिशें सहती हैं बेटियाँ,
    वारिस कपूत बेटे भी, पराई हैं बेटियाँ.
    हर वक़्त इंतजार करती हैं प्यार का,
    रह कर के मौन देती हैं प्यार बेटियाँ.

    बहुत सुंदर पंक्तियाँ..बधाई इस प्रभावशाली प्रस्तुति के लिए..

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  28. बेटी होना .......समझना - दो मुकाम हैं

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  29. सब टोक और बंदिशें सहती हैं बेटियाँ,
    वारिस कपूत बेटे भी, पराई हैं बेटियाँ.
    हर वक़्त इंतजार करती हैं प्यार का,
    रह कर के मौन देती हैं प्यार बेटियाँ.
    बहुत सुंदर रचना
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई.

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  30. सच बेटियों की बिना घर संसार की कल्पना बेमानी हैं ..
    बहुत सुन्दर प्यारी प्रस्तुति ....आभार

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  31. बहुत कुछ सोंचने पर विवश करती सटीक सामयिक अभिव्यक्ति...

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  32. एक विरोधाभास एक परम्परा से उपजी पीर है एक यथार्थ की चुभन है इस रचना में बेटियों के प्रति एक शाश्वत है माँ बाप .अति उत्कृष्ट रचना .आभार आपकी सद्य टिपण्णी का .

    सब टोक और बंदिशें सहती हैं बेटियाँ,
    वारिस कपूत बेटे भी, पराई हैं बेटियाँ.
    हर वक़्त इंतजार करती हैं प्यार का,
    रह कर के मौन देती हैं प्यार बेटियाँ.

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  33. सच में बेटियाँ ऐसी ही होती हैं; बेहद संवेदनशील और प्यार भरी ! दुःख इसी बात का है कि ज़माने ने उनका मोल न जाना और सदैव उन्हें दबा कर रखा ! आपकी रचना बहुत से दुखी दिलों के लिए दिलासा होगी ! एक बहुत ही सुन्दर, सार्थक एवं सशक्त रचना ! शुभकामनाएं !

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  34. सच है ...
    आजकल हर जगह बेटी नज़र आती है भाई जी !
    मंगलकामनाएं आपको !

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  35. घर से हों चाहे दूर, पर कब दूर बेटियाँ,
    पल भी नयन मुंदें तो दिखती हैं बेटियाँ.
    सूना हुआ है आँगन, आती है याद तेरी,
    तस्वीर बन के केवल रह जाती बेटियाँ.

    माँ बाप के लिए बेटियों से बड़ा उपहार नहीं हो सकता श्रृष्टि का ... प्रेम ओर मनुहार की मूर्ती बेटियां संसार होती हैं ...

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  36. बेटियां हमारे किये अनमोल हैं।हमारे सुख -दुःख में हमेशा साथ देतीं है। बहुत सुंदर मार्मिक रचना।

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  37. This comment has been removed by the author.

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  38. अति सुन्दर रचना। सर, यह कविता मैंने अपनी पत्नी को भी फ़ोन के माध्यम से सुनाया। मेरी 5 महीने की बेटी है, जब से जनम ली है, घर परिवार में खुशियाँ जैसे मानो दुगुनी हो गयी है, अभी घर से दूरी के बावजूद, मेरा मिजाज भी सदेव खुश रहता है, विषम परिसिस्थितियों को भी सहजता से निपट पाता हूँ। यह कविता एक सुन्दर अनुभूति है , ऐसी रचना जिसे पढ़ मन खुश हो जाता है। सर, बेटियों पर केन्द्रित इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई।

    सादर
    नरेन्द्र गुप्ता

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  39. माँ बाप की खुशी, जब खुश रहती बेटियाँ,
    सहते हैं दर्द कितना, जब रोती हैं बेटियाँ.
    इज्ज़त से लड़कियों की खिलवाड़ हैं करते,
    उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ.

    सटीक लेखन व प्रभावशाली ,,,,
    सादर .

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  40. बहुत प्यारी होती हैं बेटियाँ

    जो इस बात को नहीं जानते,नहीं समझते उनसे बड़ा मूर्ख और बदकिस्मत कोई और नहीं है

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  41. बाबुल के घर की रानी होती है बेटियाँ

    बहुत सुन्दर !!

    अपना आशीष इस बेटी को भी दीजिये
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    Gift- Every Second of My life.

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  42. घर से हों चाहे दूर, पर कब दूर बेटियाँ,
    पल भी नयन मुंदें तो दिखती हैं बेटियाँ...
    बहुत सुन्दर.

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  43. बहुत सुन्दर !!सटीक....

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  44. रचना भावपूर्ण है

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  45. प्रभावी प्रस्तुति।।।

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