मौन नहीं
स्वीकृति हार की
मौन नहीं स्वीकृति गलती की,
मौन नहीं है मेरा डर
और न ही मेरी कमजोरी,
झूठ से पर्दा मैं भी उठा सकता हूँ
और दिखा सकता हूँ आइना सच का,
लेकिन क्यों उठती उंगली
सदैव सच पर ही,
होता है खड़ा कटघरे में
और देनी पड़ती अग्नि परीक्षा
सदैव सच को ही।
मौन नहीं स्वीकृति गलती की,
मौन नहीं है मेरा डर
और न ही मेरी कमजोरी,
झूठ से पर्दा मैं भी उठा सकता हूँ
और दिखा सकता हूँ आइना सच का,
लेकिन क्यों उठती उंगली
सदैव सच पर ही,
होता है खड़ा कटघरे में
और देनी पड़ती अग्नि परीक्षा
सदैव सच को ही।
जब मुखर होता असत्य
और दब जाती आवाज़
सत्य की
असत्य के शोर में,
हो जाता मौन
सत्य कुछ पल को।
सत्य हारा नहीं
सत्य मरा नहीं
केवल हुआ है मौन
समय के इंतज़ार में।
और दब जाती आवाज़
सत्य की
असत्य के शोर में,
हो जाता मौन
सत्य कुछ पल को।
सत्य हारा नहीं
सत्य मरा नहीं
केवल हुआ है मौन
समय के इंतज़ार में।
..... © कैलाश शर्मा
वाह !
ReplyDeleteसमय कभी मरता नहीं ... चूकता नहीं ... कुछ पल को मौन हो जाए पर शाश्वत रहता है ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,लोहड़ी कि हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteसार्थक भाव अभिव्यक्ति...
ReplyDeletebahut sahi baat ki ....saty marta nahi moun jarur ho jata hai kuchh samy ke liye ...!
ReplyDeleteगहन भाव लिये सार्थक रचना ! डर इस बात का होता है कि सही समय का इंतज़ार करते-करते कहीं सत्य बेदम ना हो जाये इसलिए सत्य को भी समय-समय पर सहारे की आवश्यकता होती है मुखर होने के लिये ! बहुत सुंदर रचना !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया -
ReplyDeleteसुंदर रचना --
समय का सच। बहुत काम की बात की है।
ReplyDeleteसत्य वचन .....सत्य मौन हो उचित समय की प्रतीक्षा करता है उद्घाटित होने .....शाश्वत सत्य बनकर ...!! !!बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteसार्थक भाव अभिव्यक्ति,सुंदर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteRECENT POST -: कुसुम-काय कामिनी दृगों में,
आभार...
ReplyDeleteसत्य मौन भी मुखर होता है.......सुंदर प्रस्तुति.........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteमकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं !
नई पोस्ट हम तुम.....,पानी का बूंद !
नई पोस्ट बोलती तस्वीरें !
sundar prastuti
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति...
ReplyDelete:-)
सार्थक भाव .... उम्दा प्रस्तुति.....!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .._./\_
ReplyDeleteमौनभी कभी कभी बात से ज्यादा मुखर होता है।
ReplyDeleteमुँह की बात सुने हर कोई दिल की बात को जाने कौन
ReplyDeleteआवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन...
सत्य कब तक मौन रहेगा...बोलने का वक्त आ गया समझिये...
सच कहा समय से ज्यादा ताकतवर कौन. सुन्दर पंक्तियाँ.
ReplyDeleteसमय कितना कुछ रेखांकित करता है ..... सुंदर अभिव्यक्ति ...
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ReplyDeleteकल 16/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
शुक्रिया....
Deleteसत्य मरा नहीं
ReplyDeleteकेवल हुआ है मौन
समय के इंतज़ार में।
बहुत सुन्दर सन्देश आदरणीय
बहुत सुन्दर भाव और रचना |
ReplyDelete"मौन नहीं स्वीकृति गलती की,
मौन नहीं है मेरा डर
और न ही मेरी कमजोरी,"
बहुत खूब |
कौन समझे इस जगत में, व्यक्त पीड़ा मौन की
ReplyDeleteसत्य हारा नहीं
ReplyDeleteसत्य मरा नहीं
केवल हुआ है मौन
समय के इंतज़ार में......।बहुत सुन्दर भाव
बहुत ही अच्छी कविता |आभार सर जी |
ReplyDeleteबहुत गहन और सुन्दर |
ReplyDeleteसत्यमेव जयते नानृतम
ReplyDeleteसत्य हारा नहीं
ReplyDeleteसत्य मरा नहीं
केवल हुआ है मौन
समय के इंतजार में... बहुत सुंदर भाव ...
मौन रहकर भी सत्य जीवंत रहता है और मुखर होकर भी असत्य एक छलावा ही है
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