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Friday, September 13, 2013

परीक्षा


कितना कठिन है
प्रतिदिन सामना करना
एक नयी परीक्षा का,
बिना किसी पूर्व सूचना
विषय या पाठ्यक्रम के.

निरंतर देते परीक्षाएं
थक गया तन व मन,
नहीं चाहता  देना
कोई और परीक्षा
पर नहीं कोई उपाय 
बचने का इससे.

स्वीकार  है अपनी नियति
नहीं शिकायत किसी परीक्षा से
और न ही कोई आकांक्षा
किसी अपेक्षित परिणाम की,
केवल है इंतज़ार
उस अंतिम परीक्षा का  
मिलेगी जब मुक्ति
सब परीक्षाओं से.

लेकिन अनिश्चित सदैव की तरह 
दिन उस अंतिम परीक्षा का भी.

.....कैलाश शर्मा